हेलो दोस्तो। मैं जो कहानी आप लोगों को बताने जा रहा हुँ उसे पढ़कर आप लोगों को भी अपनी चचेरी बहन (या कोई और) को चोदने का तरीका मिल जाएगा। मैंने भी अपनी चचेरी बहन की चुदाई खेल खेलने के बहाने की है।
जब से मुझमें जवानी के लड्डू फूटे हैं, तब से मैं लड़कियों के बदन पर फ़िदा हो गया हुँ। मैं सभी लड़कियों को हवस की नज़रों से देखता हुँ। मेरे मोहल्ले में, मेरे कॉलेज में, यहाँ तक की रास्ते पर चलती हुई लड़कियों को भी मैंने अपनी आँखों से नंगा किया है।
किस्मत से, मेरे परिवार में ही मुझे एक लड़की मिल गई थी जिसकी जवानी भी मेरी ही तरह फूट रही थी। वह मेरी चाची की लड़की है, पलक (उम्र २०) – मेरी चचेरी बहन।
मैं चाहता था कि किसी भी तरह से बस मैं और पलक साथ आ जाए, फिर मैं उसे पटा लूँगा। करीब एक साल के बाद वह अनमोल समय आया था। हुआ यूँ कि, गाँव की पुश्तैनी जमीन का बँटवारा हुआ था।
मेरी चाची पलक के साथ हमारे घर आई थी अपने हिस्से के पैसे लेने। उनका हमारे घर एक रात रुकने का प्लान था। मुझे सिर्फ एक दिन में पलक को पटाकर उसकी चुदाई करनी थी। वैसे मैंने तो मज़े तुरंत ही लेना शुरू कर दिया था।
पलक जिस दिन आई थी तभी उसने अपने कपड़े बदल दिए थे। मौका देखकर मैं बाथरूम में घुस गया। बाथरूम में जाकर उसकी ब्रा और पैंटी को सूँघने लगा और अपने लौड़े का पानी उनपर निकाल दिया।
रात को पिताजी मेरे साथ मेरे कमरे में सोए थे। चाची और पलक माँ के साथ बेडरूम में सोए थे। दूसरे दिन, दोपहर में माँ और चाची मेहँदी लगवाने पार्लर में चले गए। पलक को मेहँदी नहीं लगवानी थी इसलिए वह घर पर ही रुक गई थी।
घर पर मेरे अलावा कोई नहीं होने की वजह से पलक कमरे से बाहर नहीं आ रही थी। मैंने वाई-फाई बंद कर दिया और मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला छोड़ दिया। कुछ देर बाद, पलक माँ-पिताजी के बेडरूम से निकली और मेरे कमरे के पास आकर खड़ी हो गई।
उसने मुझसे कहा कि इंटरनेट काम नहीं कर रहा है। मैंने उसे समझाया कि कुछ तकनीकी मसला होगा इसलिए इंटरनेट काम नहीं कर रहा। पलक दुखी होकर मुझसे कहने लगी कि वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ ऑनलाइन गेम खेल रही थी।
मैंने उसी मौके का फ़ायदा उठाकर पलक को मेरे साथ एक खेल खेलने के लिए बोल दिया। खेल यह था कि हम में से कोई अपने आँखें बंद करेगा, दूसरा व्यक्ति उसके मुँह के पास अपने शरीर का कोई अंग रखेगा।
आँखें बंद रखने वाले को बिना छुए सिर्फ़ सूँघकर या चाटकर उस अंग का पता लगाना है। पलक राज़ी हो गई थी। हम दोनों ने खेल खेलना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद, मेरे अंदर मस्ती चढ़नी शुरू हो गई थी।
वैसे भी पलक के इतने नज़दीक बैठकर मैं उसके शरीर की गर्मी को महसूस करने लगा था। जब मेरी बारी आई, तभी मैंने अपनी पैंट निकाल दी और गोटियों को पलक के मुँह के पास लेकर गया।
सूँघने से पलक नहीं समझ पा रही थी इसलिए उसने अपनी ज़ुबान निकाली। एक दो बार मेरी गोटियों के ऊपर के भाग को चाटने के बाद मेरा लौड़ा हल्का-सा तनकर खड़ा हो गया।
जैसे ही मेरे लौड़े की नोक पलक की नाक पर पड़ी, उसने मेरे लौड़े को पकड़ लिया। पलक ने अपनी आँखें खोली और मेरे लौड़े को देखकर शर्मा गई। खेल शुरू किया था तो उसे ख़तम भी करना था।
मैंने पलक को बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी चुम्मियाँ लेने लगा। वह मेरे लौड़े को अपने हाथ में पकड़कर हिलाने लगी। चुम्मियाँ लेते वक़्त मैंने पलक की टी-शर्ट के अंदर अपना हाथ घुसा दिया और उसके चीकू जितने स्तन को पकड़कर दबाने लगा।
उसने अपनी शॉर्ट्स उतार दिए और मेरी पैंट को भी उतारने लगी। मैंने भी उसकी टी-शर्ट उतारी और उसपर चढ़कर लेट गया। पलक मेरी गाँड़ को पकड़कर दबा रही थी। मैं बिस्तर पर से उतर गया और पलक के पैर पकड़कर उसे उल्टा लटकाया।
उसने मेरी जाघों को पकड़कर मेरे लौड़े को चूसना शुरू किया। मैंने पलक की कमर को अपने सीने से लगाकर उसकी साफ़ चूत को चाटने लगा। उसकी चूत चाटते हुए, मैंने उसके चुत्तड़ों को कसकर पकड़ लिया।
पलक मेरे लौड़े को हिलाते हुए उसे अपने मुँह में डाल रही थी। मैं उसकी गाँड़ की छेद में अपनी एक उँगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा। मैं निचे फ़र्श पर लेट गया और पलक के चूत में अपनी ज़ुबान डालकर चाटने लगा।
वह मेरे लौड़े और गोटियों को बारी-बारी से चूस रही थी। मैंने अपनी ज़ुबान से पलक के चूत की गुलाबी पंखुड़ियों को फैला दिया और उन्हें चूसने लगा। पलक की सिसकियाँ चीख़ों में बदल गई थी।
उसकी चूत को चाटते समय उसकी गाँड़ की छेद सिकुड़ रही थी। मैंने अपनी उँगली को उसकी गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दिया। थोड़ी देर बाद, मैंने अपनी उँगली निकालकर उसे चखा और फिर पलक के मुँह में डाल दिया।
मैंने पलक को उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसपर चढ़ गया। उसके पैरों को पकड़कर मैंने उसकी चूत की दरार के सामने अपना लौड़ा रख दिया। पलक ने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ा और उसे धीरे से अंदर घुसा दिया।
२-३ बार मैंने धीरे से अपने लौड़े को अंदर-बाहर किया। जब मेरा लौड़ा चिकनेपन से पलक की चूत में फिसलने लगा तब मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। मैं पलक के ऊपर लेट गया और उसके चीकू जितने बड़े स्तन को दबाने लगा।
वह मेरे होठों की चुम्मियाँ लेने लगी। वह अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह के अंदर घुसाकर चाटने लगी। कुछ देर तक पलक की ठुकाई करने के बाद मैं रुक गया था। तभी पलक उठ गई और मुझे घोड़ा बनाकर बिस्तर पर लेटा दिया।
उसने मेरे लौड़े को पकड़कर हिलाना शुरू किया और मेरी गोटियाँ चूसने लगी। कुछ देर बाद, वह मेरी गाँड़ की छेद के अंदर अपनी उँगली घुसाने लगी। मेरा लौड़ा एकाएक से और कड़क हो गया।
मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था इसलिए पलक मेरी गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान घुसाने लगी। जब मैं एकदम उत्साहित हो गया तब मैं पलक को पकड़कर बिस्तर पर बैठ गया।
मैंने पलक को अपने आगे बिठाया और उसे गाँड़ से उठाकर मेरे लौड़े पर टिका दिया। उसकी गाँड़ की छेद में थूक लगाकर मैंने अपने लौड़े की नोक को सामने रख दिया।
पलक ने धीरे से मेरे लौड़े को अपनी गाँड़ की छेद के अंदर घुसा लिया। वह खुद से ही मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी। उसकी गाँड़ जब मेरे जाघों से टकराने लगी तब एक मधुर आवाज़ निकलने लगी थी।
पलक की चीख़ें मेरी हवस को उकसाह रही थी। ज़ोर-ज़ोर से पलक अपनी गाँड़ को मेरे लौड़े पर उछालने लगी थी। उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकलना शुरू हुए था। वह ज़ोर-ज़ोर से अपनी गाँड़ को मेरे लौड़े पर पटक रही थी।
कुछ देर बाद, मैंने पलक को मुझपर सीधा लेटाकर उसकी चिकनी गीली चूत के अंदर अपना लौड़ा घुसा दिया। पलक मेरे लौड़े पर अपनी गाँड़ उठा-उठाकर खुद को उछाल रही थी।
मैंने उसकी निप्पल को खींचकर उसकी चीख़ें बढ़ा दी। पलक अपने पैरों के बल बैठकर मेरे लौड़े पर उछल रही थी। जोश में आकर कहीं मैं पलक की चूत के अंदर न झड़ दू इसलिए मैंने अपना लौड़ा निकालकर उसकी गाँड़ की छेद के अंदर गुसा दिया।
लेटकर पलक की गाँड़ चोदते वक़्त मेरा लौड़ा कई बार गाँड़ की छेद से बाहर फिसल रहा था। इसलिए मैंने पलक को घोड़ी बनाकर बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने उसकी गाँड़ की छेद के अंदर थूक मारकर अपना लौड़ा अंदर घुसा दिया।
पलक की कमर को पकड़कर मैंने उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा ज़ोर-ज़ोर से घुसाना शुरू कर दिया। उसकी चीख़ों की आवाज़ को दबाने के लिए मैं आगे झुककर उसकी चुम्मियाँ लेने लगा।
जब मेरा पानी निकलने वाला था तब मैंने पलक की चुत्तड़ों को फैलाकर गाँड़ की छेद को चौड़ा कर दिया। ४-५ बार धीरे से लौड़े को गाँड़ की छेद में घुसाते हुए मैंने अपने लौड़े का पानी उसकी गाँड़ के अंदर निकाल दिया था।
पलक आकर मेरे मुँह के ऊपर बैठ गई और अपनी गाँड़ की छेद को अपनी उँगलियों से फैलाया। मेरे पूरे लौड़े का पानी उसने पाद मारकर मेरे चहरे पर छिड़क दिया। फिर अपनी गाँड़ मेरे चहरे पर घिसते हुए उसे चमकाने लगी।
फिर पलक मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे चहरे को चाटकर उसे साफ़ किया। इस तरह मैंने मेरी चचेरी बहन पलक की चुदाई की।