नमस्कार दोस्तो। मेरा नाम मनीषा (उम्र १९) है। मैं बिहार की रहने वाली हूँ। मेरा एक छोटा-सा परिवार है जिसमें सिर्फ़ मेरे भाभी-पिताजी हैं। मेरे पिताजी अपना खुद का डेयरी फार्म (दुग्धालय) चलाते हैं।
मेरी भाभी का नाम विद्या वर्मा (उम्र ३४) है। भले ही मेरी भाभी का नाम विद्या है, लेकिन वह अनपढ़ हैं। मेरी भाभी एक नंबर की कामचोर औरत हैं। साली पूरे दिन घर में बिस्तर पर पड़ी रहती है और घर का सारा काम मुझसे करवाती है।
रात को पिताजी से चुदवाते वक़्त ही अपनी चर्बी से भरी हुई मोटी गाँड़ को पिताजी के लंड पर उछालती है। मेरी भाभी एक अंधविश्वासी महिला है। उसका रास्ता अगर कोई काली बिल्ली काट देती है, तो उसकी गाँड़ फट जाती है।
एक दिन जब वह बिस्तर पर लेटकर आराम कर रही थी, तब एक छिपकली उसके पेट पर गिर गई थी। भाभी चिल्लाते हुए बिस्तर पर से उछली और अपनी गाँड़ पकड़कर शौचालय में भाग गई। डरपोक औरत ने अपनी चड्डी में हग जो दिया था।
एक दिन सुबह के समय हमारे घर के सामने एक बाबा आकर खड़ा हो गया। उसने जब ज़ोर-ज़ोर से मंत्र बोलना शुरू किया, तब मेरी भाभी अपने कमरे में से बाहर आकर खड़ी हो गई।
बाबा ने मेरी भाभी की हाथ की रेखाओं को पढ़ा और उसे आसन्न संकट के बारे में चेतावनी दी। मैं अंदर से सब कुछ देख रही थी। बाबा को देखकर ही मैं पहचान गई थी कि वह एक ढोंगी बाबा है।
मादरचोद मेरी भाभी की जवानी के मज़े ले रहा था। उसने तो भाभी से यह तक पूछा कि घर पर कोई है या नहीं। भाभी के हाँ कहने पर ढोंगी बाबा का मुँह छोटा हो गया था।
मेरी भाभी के साथ बातचीत करते हुए, ढोंगी बाबा ने हमारे घर के बारे में सब कुछ पूछा। घर में कितने लोग रहते हैं, कौन क्या करता है, कौन घर से बाहर जाता है और किस समय, आदि।
मेरा मन तो कर रहा था कि उसी समय जाकर उस ढोंगी बाबा को झाड़ू से मारकर भगा दू। लेकिन मेरी अंधविश्वासी भाभी बाद में मुझे उसी झाड़ू से मारेगी यह सोचकर मैंने कुछ नहीं किया।
कुछ देर बाद, ढोंगी बाबा हमारे घर के बारे में सब कुछ जानकर वहाँ से चला गया। जाते-जाते उसने अपनी झोली में से एक केला निकालकर भाभी को दिया और कहा कि वह केला अपने पति को खिला दे।
भाभी जब ढोंगी बाबा के पैर छूने के लिए झुकी, तब उस बाबा ने अपना हाथ भाभी के सर पर रखने के बजाय उसकी गाँड़ पर रख दिया। मुझे तब बिलकुल यक़ीन हो गया था कि ढोंगी बाबा हवस का पुजारी है।
एक हफ़्ते हो गए थे लेकिन ढोंगी बाबा हमारे घर के पास दुबारा नज़र नहीं आया था। लेकिन उन एक हफ़्तों तक, हर रात मैंने भाभी-पिताजी के बिच होती तकरार सुनी थी।
मुझे ऐसा लग रहा था कि ढोंगी बाबा के दिए उस केले को खाकर पिताजी का लंड खड़ा होना बंद हो गया था। मैं जब दोपहर को ट्यूशन क्लास जा रही थी तभी मुझे थोड़ी दुरी पर ढोंगी बाबा मेरी तरफ़ आते हुए दिखाई दिया।
मुझे तभी याद आया कि वह मादरचोद सही मौके की तलाश कर रहा था मेरे घर में घुसने का। मैं दूसरी गली में जाकर छिप गई। जैसे ही ढोंगी बाबा मेरे आगे निकला मैंने उसका पीछा करना शुरू किया। वह सीधे मेरे घर में जाकर घुस गया।
मैं भी मेरे घर के पास आकर खड़ी हो गई थी। मेरी भाभी ने ढोंगी बाबा को पिताजी की तकलीफ के बारे में बताया। उसे सुनकर ढोंगी बाबा भाभी के साथ अंदर के कमरे में घुस गया। ढोंगी बाबा बिस्तर पर बैठ गया और मेरी भाभी उसके सामने नीचे ज़मीन पर।
ढोंगी बाबा ने समस्या सुनकर मंत्र बोलना शुरू कर दिया। भाभी भी हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी। कुछ देर बाद, ढोंगी बाबा ने भाभी को बिस्तर पर अपने पास बैठने को बोला।
दोनों एक दूसरे की तरफ़ मुँह करके बैठे थी। ढोंगी बाबा ने मंत्र की थूक भाभी के मुँह पर मारकर उसका एक हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी धोती के अंदर घुसा दिया। थोड़ी देर बाद उसका लंड तनकर खड़ा हो गया और उसने अपनी धोती को उठा दिया।
भाभी उसके काले लंड को दोनों हाथों से सहला रही थी। कुछ देर बाद, ढोंगी बाबा ने भाभी का सर पकड़कर आगे झुकाया और अपने लंड को उसके मुँह में घुसा दिया। भाभी अपने हाथों को जोड़कर उसका लंड चूस रही थी। ढोंगी बाबा मंत्र का जाप कर रहा था।
४-५ मिनट तक भाभी से अपना लंड चुसवाने के बाद ढोंगी बाबा भाभी की साड़ी उतारने लगा। भाभी अपनी ब्रा-पैंटी में ढोंगी बाबा के सामने हाथ जोड़कर बैठी थी। बाबा ने भाभी को बिस्तर पर खड़ा कर दिया और उसके पैर फैला दिए।
भाभी अपने हाथों को सर के ऊपर जोड़कर खड़ी थी। बाबा ने भाभी की चड्डी खींचकर उतार दी और तभी भाभी ने अपनी ब्रा भी उतार दी। बाबा अपने मुँह को भाभी की झाँटों से भरी चूत के पास ले जाकर उसे सूँघने लगा।
उसने मंत्र का जाप करते हुए भाभी की चूत को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। थोड़ी देर बाद, भाभी के पैर काँपने लगे थे। बाबा ने भाभी की चूत की पंखुड़ियों को फैलाकर अपनी ज़ुबान अंदर घुसानी शुरू कर दी।
भाभी सिसकियाँ लेते हुए बाबा की जय-जयकार कर रही थी। बाबा ने अपनी दो उँगलियों को भाभी की गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दी। उँगलियों को अंदर-बाहर करते समय भाभी अपनी गाँड़ को उत्तेजना के कारण हिलाने लगी।
मेरी भाभी की चूत से पानी छूटने लगा था जो ढोंगी बाबा ने चूसकर साफ़ कर दिया। अब ढोंगी बाबा भाभी के पीछे जाकर बैठ गया। उसने भाभी की गाँड़ की दरार को अपने हाथों से फैलाया और गाँड़ की छेद चाटने लगा।
भाभी कामुकता से पागल होकर बाबा का नाम चीख़ने लगी थी। उसने भाभी को अपना नाम ‘चमड़ी बाबा’ करके बताया था। कुछ देर बाद, ढोंगी बाबा ने भाभी की कमर पकड़कर उसे अपने मुँह पर बिठाया और ख़ुद बिस्तर पर लेट गया।
भाभी अपनी गाँड़ की छेद को ढोंगी बाबा के मुँह पर रगड़ने लगी थी। बाबा का लंड सीधे खड़ा देखकर भाभी आगे झुक गई और लंड को फिर से चूसने लगी।
ढोंगी बाबा ने अपनी ज़ुबान को भाभी की गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दिया और भाभी उसपर अपनी गाँड़ उछालने लगी थी। ढोंगी बाबा भाभी के चुत्तड़ों को दबाकर, फैलाकर गाँड़ की छेद को अंदर और बाहर से चाट रहा था।
भाभी ढोंगी बाबा का काला लंड पूरा मुँह में डालकर चूस रही थी। ढोंगी बाबा उठकर बिस्तर पर खड़ा हो गया और भाभी को भी अपने आगे खड़ा कर दिया। उसका तनकर खड़ा हुआ लंड भाभी की गाँड़ की दरार के अंदर घुस रहा था।
उसने भाभी को आगे झुकाया और अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया। थोड़ा झुककर उसने भाभी की चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा। धीरे-धीरे भाभी की चूत के अंदर धक्के मारकर ढोंगी बाबा ने भाभी की चुदाई करना शुरू कर दिया।
भाभी ढोंगी बाबा का नाम चिल्लाकर उसकी जय-जयकार करने लगी थी। उसका लंड भाभी की चूत में पूरा घुस रहा था। भाभी ने ढोंगी बाबा की गोटियों को अपने हाथ में पकड़ लिया था।
उत्साह में आकर भाभी ने शायद ढोंगी बाबा की गोटियों को दबा दिया होगा क्यूँकि ढोंगी बाबा ज़ोर से चीख़ उठा। उसने गुस्से में आकर भाभी की गाल पर ज़ोरदार थप्पड़ मार दिया। ढोंगी बाबा भाभी की ज़ोरदार चुदाई करने लगा था।
उसने भाभी की कमर पकड़कर उसकी चूत के अंदर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारनी शुरू कर दी। कुछ देर तक ज़ोरदार ठुकाई करने के बाद ढोंगी बाबा बिस्तर पर लेट गया। उसने भाभी को अपने ऊपर चढ़ाकर लेटा दिया।
भाभी की चूचियों को पकड़कर ढोंगी बाबा बारी-बारी से उसके निप्पल चूसने लगा। उसने अपने लंड को भाभी की गाँड़ की छेद के अंदर धीरे से घुसा दिया और मंत्र की थूक भाभी के मुँह पर मार दी।
भाभी की चुत्तड़ों को फैलाकर उसने भाभी की गाँड़ मारनी शुरू की। ४-५ धक्कों के बाद उसका पूरा लंड भाभी की गाँड़ में घुस गया था। भाभी ढोंगी बाबा के लंड पर अपनी गाँड़ को उछाल रही थी।
थोड़ी देर और भाभी की गाँड़ मारने के बाद, ढोंगी बाबा भाभी को बिस्तर पर लेटाकर उसकी छाती पर बैठ गया। भाभी के मुँह में अपना लंड घुसाकर उसे अंदर-बाहर करने लगा।
आखिरकार, ढोंगी बाबा ने मंत्र की थूक मारकर भाभी के मुँह के अंदर अपने लंड का पानी निकाल दिया। भाभी उसे प्रसाद समझकर पी गई। ढोंगी बाबा ने भाभी को कपड़े पहनाकर उसे आशीर्वाद के तौर पर फिर एक केला दिया।
मुझे पता था कि वह ढोंगी बाबा अगले हफ़्ते फिर लौटेगा, इसलिए मैं उसका इंतज़ार करने लगी थी। लेकिन उस बार मैंने सोच लिया था कि भाभी को ढोंगी बाबा का असली केला काटकर हाथ में दूँगी।
ढोंगी बाबा के साथ दूसरी बार क्या हुआ, यह तो आप लोगों को कहानी के अगले भाग में पता चलेगा।