एक दिन मैं अपने घर के छत में था मैं उसी वक्त अपने ऑफिस से लौटा था तो मैंने सोचा कुछ देर छत में तहल लेता हूं इसलिए मैं छत में चला गया। जब मैंने पड़ोस के बंटी भैया के छत में एक लड़की देखी तो मैं उसकी तरफ देखे जा रहा था उस लड़की में ना जाने ऐसी क्या बात है कि मैं उसे देखता ही रहा।
उसके चेहरे का नूर कुछ अलग ही था जो मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था मुझे लगा कि शायद उसके बाद भी वह मुझे दिख जाएगी लेकिन उस दिन के बाद मुझे वह लड़की कभी दिखी ही नहीं और मुझे यह भी पता नहीं चला कि वह कौन थी।
एक दिन मुझे बंटी भैया मिले तो मैंने उनसे पूछ लिया कि कुछ दिनों पहले आप के छत में एक लड़की टहल रही थी वह कौन थी वह मुझे कहने लगे कि मेरी बहन की सहेली है और मुझे भी उसके बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है।
मैंने उन्हें कहा लेकिन आपको उसके बारे में कुछ तो पता होगा वह कहने लगे नहीं मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं मालूम बंटी भैया मुझे चिढ़ाते हुए कहने लगे कि क्या तुम्हारा दिल उस पर आ गया है। मैंने उन्हें कुछ नही कहा लेकिन वह समझ चुके थे कि जरूर कोई ना कोई ऐसी बात है इसी वजह से मैं पूछ रहा हूं।
बंटी भैया मुझे कहने लगे कि देखो मोहन यदि तुम्हारे दिल का मामला है तो उसके लिए मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा लेकिन मुझे भी उस लड़की के बारे में ज्यादा कोई जानकारी नहीं है पर हां उसका नाम गीतिका है मुझे यह जरूर मालूम है इससे ज्यादा मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानता यदि तुम कहो तो मैं अपनी बहन मीना से जरूर इस बारे में पूछ सकता हूं।
मैंने बंटी भैया से कहा भैया मैंने जब उस लड़की को देखा तो ना जाने उसे देख कर मुझे ऐसा क्यों लगा कि जैसे मैंने उसे कहीं पहले भी देखा था आप यदि मीना से उसके बारे में पूछे और मुझे बता दे तो आपका मेरे ऊपर बहुत बड़ा एहसान होगा।
वह मुझे कहने लगे अरे मोहन तुम यह कैसी बात कर रहे हो तुम मुझसे एहसान की बात कर रहे हो ऐसा आज के बाद कभी बोलना भी मत मैं तुम्हें अपने छोटे भाई की तरह मानता हूं और तुम्हें तो मालूम ही है कि हम लोगों के परिवार में कितने अच्छे संबंध हैं।
मैंने बंटी भैया से कहा ठीक है भैया आप मुझे गीतिका के बारे में बता दीजिएगा। दो दिन बाद मुझे बंटी भैया मिले उस दिन मैं अपने मोहल्ले की दुकान में ही खड़ा था बंटी भैया मेरे पास आये और कहने लगे मोहन कैसे हो मैंने उन्हें बताया भैया मैं तो ठीक हूं आप बताइए आप कैसे हैं।
वह कहने लगे बस मैं भी ठीक ही हूं मैं दरअसल कल तुम्हें मिलने की सोच रहा था लेकिन मुझे किसी काम से अपने रिलेटिव के घर जाना पड़ा इसीलिए मैं तुमसे मिल नहीं पाया लेकिन तुम मुझे बिल्कुल सही समय पर मिले। मैंने बंटी भैया से कहा क्या कोई जरूरी काम था तो वह कहने लगे हां मुझे तुमसे जरूरी काम था मैंने बंटी भैया से कहा हां भैया क्या क्या काम था वह कहने लगे मैंने गीतिका के बारे में मीना से पूछा तो मीना ने मुझे उसके बारे में बताया।
मीना ने मुझे बताया कि गीतिका जयपुर की रहने वाली है और उसके पिताजी बड़े ही सख्त मिजाज के हैं वह मीना की बहुत अच्छी दोस्त है मैंने बंटी भैया से कहा कि क्या उसका नंबर मुझे मीना से मिल सकता है।
वह कहने लगे मैंने मीना से उसका नंबर ले लिया था अब तुम उससे बात कर लेना मैं तुम्हें उसका नंबर दे देता हूं। उन्होंने मुझे उसका नंबर दिया और मैंने कुछ दिनों बाद गीतिका को फोन किया जब मैंने गीतिका को फोन किया तो मैंने उसे बताया मैं बंटी भैया के पड़ोस में रहता हूं वह कहने लगी हां कहिए आपको क्या कोई काम था।
मैंने उसे कहा नहीं मुझे कोई काम नहीं था बस ऐसे ही आपसे बात करनी थी दरअसल मैंने आपको छत पर देखा था तो आप मुझे बहुत अच्छी लगी इसलिए मैं आपसे बात करना चाहता था। पहले ही बात के दौरान ना जाने मेरे अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई कि मैंने गीतिका से बिंदास तरीके से बात कर ली जबकि मेरा नेचर ऐसा नहीं है मैं बहुत ही शांत स्वभाव का हूं और मैं बड़ा शर्मीला हूं।
उस दिन ना जाने मेरे अंदर इतनी हिम्मत कहां से आ गई मैंने गीतिका से काफी देर तक बात की जब मैं गीतिका से बात कर रहा था तो उसने मुझे कहा मैं आपसे बाद में बात करूंगी अभी मेरे पापा आ गए हैं।
मैंने गीतिका से कहा ठीक है आप मुझे बाद में फोन कर लीजिएगा लेकिन गीतिका का मुझे फोन नहीं आया मैं उसके फोन का इंतजार करता रहा पर मुझे उसका फोन ही नहीं आया।
एक दिन मुझे बंटी भैया मिले और कहने लगे क्या तुमने गीतिका को फोन किया था मैंने उन्हें बताया हां मैंने गीतिका को फोन किया था लेकिन उसने मुझे कहा मैं बाद में फोन करूंगी परंतु उसका फोन अभी तक मुझे नहीं आया।
बंटी भैया कहने लगे कोई बात नहीं तुम्हें उसका फोन आ जाएगा तुम चिंता मत करो जब उन्होंने मुझसे यह बात कही तो मैंने उन्हें कहा हां भैया मैं भी उसके फोन का इंतजार कर रहा हूं। कई दिन हो गए थे गीतिका का फोन नहीं आया फिर एक दिन उसका फोन मुझे आया तो मैंने तुरंत ही उसका कॉल उठा लिया जब मैंने गीतिका का कॉल उठाया तो वह मुझे कहने लगी सॉरी मैं आपको फोन नहीं कर पाई।
मैंने गीतिका से कहा कोई बात नहीं मैं आपके फोन का इंतजार कर रहा था लेकिन आप से मेरी बात हो ही नहीं पाई गीतिका कहने लगी हां उस दिन मेरे पापा आ गए थे तो मुझे फोन रखना पड़ा। मैंने गीतिका से कहा क्या हम लोग अभी बात कर सकते हैं वह कहने लगी हां हम लोग बात कर सकते हैं मैं गीतिका से बात करने लगा और वह मुझसे बात कर रही थी।
मैंने उसे अपने दिल की बात कह दी और कहा मैंने जब से आपको देखा है तब से ना जाने मुझे आपसे मिलने की बहुत ज्यादा बेचैनी थी वह कहने लगी आप जयपुर आ जाइए। मैंने उसे कहा लेकिन मैं जयपुर आकर क्या करूंगा वह कहने लगी आप कोशिश तो कीजिए तभी तो आपके प्यार का पता चलेगा लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि मैं गीतिका के प्यार में इतना पागल हो जाऊंगा कि मैं सचमुच में जयपुर से चला जाऊंगा।
मैं जब जयपुर चला गया तो मैं गीतिका से मिला और गीतिका के साथ उस दिन मेरी काफी अच्छी बातचीत हुई। गीतिका ने मुझे साफ तौर पर मना कर दिया था और कहा था कि मेरे पिताजी कभी भी हम दोनों के रिश्ते को रजा मंदी नहीं देंगे लेकिन हम दोनों अच्छे दोस्त बन कर रह सकते हैं।
मैंने गीतिका से कहां लेकिन हम दोनों दोस्त बनकर रह सकते हैं ना गीतिका कहने लगी क्यों नहीं उस वक्त मैं ज्यादा समय तक जयपुर में नहीं रुक पाया और मुझे वापस दिल्ली आना पड़ा। दिल्ली में मुझे कोई जरूरी काम था इसलिए मुझे दिल्ली आना पडा मेरी कभी कबार गीतिका से फोन पर बात हो जाया करती थी हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती तो हो चुकी थी लेकिन हम दोनों की मुलाकात नहीं हो पाती थी।
मीना की शादी भी तय हो चुकी थी और उसकी शादी के लिए गीतिका दिल्ली आई हुई थी जब गीतिका दिल्ली आई तो उसके साथ कुछ अच्छा समय बिताने का मौका मिल गया। गीतिका और मेरी बात होती रहती थी गीतिका को मुझ पर पूरा भरोसा हो चुका था वह मुझ पर इतना ज्यादा भरोसा करने लगी की मैं उससे कुछ भी कहता तो वह मेरी बात मान लिया करती थी। एक दिन मैंने उसे कहा क्या हम लोग साथ में कहीं जा सकते हैं तो वह कहने लगे हां लेकिन तुम अपनी मर्यादाओं में रहोगे।
मैंने उसे कहा क्यों नहीं उसने मुझसे पहले ही यह बात कर ली थी तो मैंने उसे कहा ठीक है लेकिन हम लोग कहां जाएंगे तो वह वह मुझे कहने लगी हम लोग जैसलमेर चलते हैं।
हम दोनों ने जैसलमेर जाने का प्लान बना लिया और हम दोनों जब जैसलमेर गए तो वहां पर हम दोनों ने दो अलग-अलग कमरे लिए लेकिन मेरे अंदर तो जवानी का उबाल था परंतु गीतिका ने अपने आप पर काफी कंट्रोल किया हुआ था।
शायद वह भी अपनी जवानी पर काबू ना रख सकी जब हम दोनों साथ में थे तो मैंने गीतिका के होठों को चूमना शुरू किया उसके होठों का मै जमकर रसपान करता रहा उसे भी मजा आने लगा। वह मुझे कहने लगी ऐसा मत करो मैंने उसे कहा गीतिका तुम बेवजह ही डर रही हो तुम्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
गीतिका कहने लगी मुझे इन सब चीजों से बड़ा डर लगता है उसमें जब मेरे लंड को देखा तो वह कहने लगी तुम्हारा कितना मोटा लंड है मैंने पहली बार किसी का इतना मोटा लंड देखा है। मैं खुश हो गया मैंने इस बात का अंदाजा लगा लिया गीतिका बिल्कुल फ्रेश माल है।
मैंने उसके कपड़े खोलकर जब उसके स्तनों को अपने मुंह में लेना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने उसकी योनि को चाटना शुरू किया तो उसकी योनि से गिला पार्दाथ निकलने लगा मैंने जैसे ही उसकी योनि पर अपने लंड क लगाया तो वह मचलने लगी और कहने लगी मैं अपने आपको नहीं रोक पाऊंगी तुम अपने लंड को अंदर ही डाल दो।
मैंने धक्का देते हुए अपने लंड को अंदर प्रवेश करवा दिया जैसे ही मेरा मोटा लंड अंदर प्रवेश हुआ तो गीतिका की योनि से खून आने लगा जब उसकी योनि से खून आने लगा तो वह पूरी तरीके से मचलने लगी उसे दर्द हो रहा था वह मादक आवाज मे सिसकियां ले रही थी।
मैने उसके दोनों पैरों को कसकर पकड लिया उसकी योनि बहुत ज्यादा टाइट थी इसलिए मुझे उसे धक्के मारने में और भी ज्यादा मजा आता है। मैं ज्यादा समय तक उसकी योनि की गर्मी को झेल ना सका जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो मैं समझ चुका था कि गीतिका मेरी हो चुकी है।
उस दिन हम दोनों ही अपनी जवानी पर काबू ना कर सके लेकिन गीतिका मुझे कहती हम दोनों अच्छे दोस्त हैं लेकिन मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मुझे गीतिका की चूत तो मिल ही जाती है।