मैं और रवीना साथ में ही पढ़ा करते थे इसलिए हम दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी थी। रवीना ने मुझसे कहा कि आज तुम मेरे साथ मेरे घर पर चलो मैंने पहले तो उसे मना किया लेकिन जब उसने मुझे कहा कि आज तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा तो मैं उसकी बात को मना ना कर सकी और मैं रवीना के घर पर चली गई।
जब मैं रवीना के घर पर गई तो उसने मुझे अपने मम्मी पापा से मिलवाया हम दोनों ने उसके घर पर खूब मस्ती की जब हम लोग शाम के वक्त छत पर गए तो वहां पर मैंने देखा एक लड़का खड़ा था। मैंने रवीना से पूछा यह लड़का कौन है तो वह कहने लगी यह अनूप भैया हैं हमारे पड़ोस में ही रहते हैं।
मैंने रवीना से कहा अनूप तो बहुत ज्यादा हैंडसम है मैंने जब उसे पहली बार देखा तो मैं उसे अपना दिल दे बैठी थी लेकिन मुझे ना तो अनूप के बारे में पता था और ना ही मुझे कोई उम्मीद थी कि मेरी कभी उससे बात हो पाएगी।
उसके अगले दिन मैं घर चली आई रवीना और मेरा कॉलेज पूरा हो चुका था कभी कबार रवीना मेरे घर पर भी आ जाया करती थी। मैं जब भी रवीना के घर पर जाती तो मैं अनूप के बारे में जरूर पूछा करती थी लेकिन अनूप से मेरी अब तक बात नहीं हो पाई थी।
मैंने एक दिन रवीना से कहा क्या तुम मेरी अनूप से बात करवा सकती हो रवीना कहने लगी अनूप भैया बहुत ही सीधे-साधे हैं और वह बहुत कम बात किया करते हैं मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी दाल वहां गलने वाली है। मैंने तो ठान लिया था कि मैं अनूप से अपने दिल की बात कह कर ही रहूंगी मैंने रवीना से कहा तुम मेरी मदद तो कर ही सकती हो तुम मुझे अनुप का नंबर तो दिलवा सकती हो।
रवीना कहने लगी ठीक है मैं कोशिश करूंगी पर मैं कह नहीं सकती फिर रवीना ने मुझे कुछ समय बाद अनुप का नंबर दे दिया। मैं अब जॉब करने लगी थी और रवीना भी जॉब करती थी लेकिन हम दोनों का मिलना बहुत कम होता था हम लोग फोन पर ही बात करते थे जिससे कि हमें एक दूसरे के बारे में मालूम रहता था। जब भी हम दोनों के पास समय होता तो हम दोनों एक दूसरे को मिल लिया करते थे।
एक दिन रवीना मुझसे मिलने के लिए मेरे घर पर आई और कहने लगी अनूप भैया की बहन की शादी है तो क्या तुम मेरे साथ चलोगी मैंने रवीना से कहा लेकिन मेरा जाना क्या वहां पर उचित रहेगा रवीना कहने लगी कोई बात नहीं तुम मेरे साथ चलना।
मैंने भी सोचा कि चलो इस बहाने अनुप से बात हो ही जाएगी और जब उसकी बहन की शादी थी तो मैं रवीना के साथ उसके घर पर चली गई शादी के दौरान रवीना ने मुझे अनुप से मिलवाया। अनूप भी मुझसे मिलकर खुश था और मुझे लगा कि उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान है जो कि मुझे देखकर आ रही है इसलिए मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई थी।
अनुप ने मुझसे कहा आप काफी सुंदर हैं तो मैं इस बात से और भी ज्यादा खुश हो गई हालांकि मेरे पास अनुप का नंबर था लेकिन मेरी हिम्मत ही नहीं हो पाई थी कि मैं अनुप को फोन करूं इसलिए मैंने अभी तक उसे फोन नहीं किया था। अब मैं अनुप को फोन करना चाहती थी और मैं अनुप से बात करना चाहती थी।
उस दिन अनूप ने मेरा नंबर ले लिया कुछ दिनों बाद मैंने अनुप को फोन किया और उन्हें कहा मैं माया बोल रही हूं अनुप भी मुझसे बात करने लगा। मैंने अनुप से कहा आपकी बहन कैसी है तो वह कहने लगा वह ठीक है वह अपने ससुराल में ही है अभी कुछ दिन पहले वह हमारे घर पर आई थी।
अनुप भी किसी सरकारी जॉब में हैं लेकिन मुझे उसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था मैंने उससे पूछा आप कौन से डिपार्टमेंट में है तो वह कहने लगा कि मैं स्कूल में क्लर्क हूं मैंने अनुप से कहा क्या आप कभी मुझसे मिल सकते हैं।
अनुप मुझे कहने लगा आजकल तो मुश्किल हो पाएगा लेकिन जब मेरे पास समय होगा तो मैं आपको जरूर बताऊंगा। अब हम दोनों फोन पर ही बात किया करते थे रवीना मुझसे हमेशा पूछा करती थी कि क्या तुम्हारे और अनुप भैया के बीच में फोन पर बात होती रहती है तो मैं उसे कह दिया हम दोनों के बीच फोन पर हमेशा बात होती रहती है।
रवीना ने हम दोनों को मिलवाया था एक दिन मैं रवीना के घर पर गई हुई थी तो मुझे अनुप कहने लगा कि आज आप यहां कैसे मैंने उसे बताया कि मैं रवीना के पास आई हुई थी अनुप कहने लगा क्या आज हम लोग शाम को कहीं साथ में बैठे मैंने उससे कहा क्यों नहीं।
मैं रवीना को लेकर शाम के वक्त उन्ही के घर के पास एक पार्क में चली गई वहां पर अनुप कुछ देर बाद आ गया हम लोगों ने वहां पर काफी बात कि मुझे उस दिन अनुप को करीब से जानने का मौका मिला और उससे बात कर के मुझे बहुत अच्छा लगा।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हम लोग इतनी देर तक बात करेंगे हालांकि उसे यह तो लग चुका था कि मेरे दिल में उसके लिए कुछ चल रहा है लेकिन वह काफी शर्मा रहा था और उसने मुझसे इस बारे में बात नहीं की।
मैंने सोचा कि मुझे ही अनुप से इस बारे में बात करनी चाहिए और मैंने एक दिन उसे अपने दिल की बात कह दी जब मैंने उसे अपने दिल की बात कही तो अनुप मुझे कहने लगा माया मैं चाहता हूं कि हम दोनों पहले एक दूसरे को अच्छे से जान ले उसके बाद ही इस रिश्ते को हम लोग हाथ बढ़ाए।
मैंने अनुप से कहा मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है यदि हम दोनों एक दूसरे को जानेंगे तभी तो हमारा रिश्ता आगे बढ़ेगा। अनुप कहने लगा हा तुम बिलकुल सही कह रही हो और मैं चाहता हूं कि हम दोनों एक दूसरे को मिले इसलिए हम दोनों एक दूसरे को हर हफ्ते मिला करते हैं।
हम दोनों को एक दूसरे को मिलते हुए करीब 4 महीने हो चुके थे और हम दोनों एक दूसरे से फोन पर काफी देर तक बात किया करते थे मुझे इस बात की खुशी थी कि कम से कम अनुप को मैं अपने दिल की बात तो कह पाई।
मेरी पहली नजर का प्यार मुझे मिलने वाला था अनूप और मैं एक दूसरे के साथ काफी समय तक रहे अब हम दोनों एक दूसरे की हर एक बात को समझने लगे थे। हम दोनों को एक दूसरे की पसंद और नापसंद का भी पता चल चुका था।
एक दिन मैं रवीना के घर पर गई रवीना के मम्मी पापा उस वक्त कहीं गए हुए थे तो मैं रवीना के साथ ही उस दिन रुकने वाली थी यह बात मैंने अनुप को बताई की मैं रवीना के घर पर ही रुकूँगी।
अनुप कहने लगा चलो मैं फिर तुम्हें रवीना के घर पर ही मिलने आऊंगा, उस दिन रवीना और मेरी छुट्टी थी तो हम दोनों घर पर ही थे अनुप मुझसे मिलने के लिए आ गया। रवीना ने अनूप के लिए चाय बनाई हम लोगों ने काफी देर तक एक दूसरे से बात की।
मुझे अनुप के साथ समय बिताना अच्छा लगता था मुझे कभी भी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि हम दोनों एक दूसरे से बोर हो रहे हैं मैं जब भी अनूप के साथ होती तो मुझे बहुत ज्यादा खुशी होती है। उसने चाय पी और वह कहने लगा मैं अभी चलता हूं मैं तुम्हें बाद में फोन करूंगा और यह कहते हुए वह चले गया रवीना और मैं साथ में ही थे हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे।
अगले दिन जब अनूप मुझसे मिलने के लिए आए तो रवीना बाहर हॉल में बैठी हुई थी और अनूप और मैं अंदर रूम में बैठे हुए थे। रवीना को इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन हम दोनों जब एक दूसरे के साथ बैठे थे तो हम दोनों के अंदर कुछ अलग ही गर्मी पैदा होने लगी। मैंने अनूप से अपनी इच्छा पूरी करने के बात कही तो अनूप ने मेरी जांघों पर अपने हाथ को रखा।
उन्होंने मेरे होठों को अपने होठों में लिया और जब मेरे स्तनों को अपने हाथों से दबाना शुरू किया तो मेरे अंदर उत्तेजना बढने लगी, मेरी योनि से तरल पदार्थ बाहर आने लगा। मैंने अनूप से कहा मुझे आपका साथ पाकर बहुत अच्छा लग रहा है अनूप ने जैसे ही अपनी उंगलियो को मेरी चूत मे डाला तो उन्होने मेरी चूत से पानी निकाल दिया।
उन्होंने जब मेरे होठों को चूमना शुरू किया तो उन्होंने मेरे होठों से खून निकाल कर रख दिया और उन्होंने मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। जब उन्होंने मुझे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो मेरी योनि से खून का बहाव होने लगा अनूप मुझे घोड़ी बनाकर चोद रहे थे मैं रवीना को देख रही थी कि कहीं रवीना अंदर ना आ जाए।
मै उनसे अपनी चूतडो को मिलती जाती वह मुझे बड़ी तेजी से धक्के दिए जा रहे थे ऐसा काफी देर तक चलता रहा। हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स कर के बहुत खुश थे और हम दोनों को ही मजा आ रहा था। जैसे ही अनूप ने अपने वीर्य को मेरी योनि में गिराया तो मुझे अच्छा लगा।
उन्होंने कहा तुम ऐसे ही रहो मैं तुम्हारी योनि को साफ कर देता हूं उन्होंने मेरी योनि को कपड़े से साफ किया तो उसके बाद उन्होंने ना जाने अपने लंड पर क्या लगाया और अपने लंड को मेरी गांड के अंदर उन्होंने घुसा दिया। जैसे ही मेरी गांड के अंदर उन्होंने अपने मोटे लंड को डाला तो मेरे मुंह से हल्की सी चीख निकली।
रवीना ने मुझे कहा माया तुम ठीक तो हो ना मैंने उसे कहा हां मैं ठीक हूं। अनूप मुझे तेजी से धक्के दे रहे थे उन्होंने मेरी गांड के अंदर तक अपने लंड को प्रवेश करवा दिया था और उनके धक्को से मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन मैंने अपने मुंह पर अपने हाथ को रखा हुआ था और वह ऐसे ही मुझे धक्के दिए जा रहे थे।
जैसे ही उन्होंने अपने वीर्य को मेरी गांड के अंदर गिराया तो वह मुझे कहने लगे मुझे तो बड़ा मजा आ गया मैंने जल्दी से अपनी सलवार को पहना और उन्हें कहा मेरी गांड में दर्द हो रहा है मुझसे बैठा भी नहीं जा रहा, उन्होंने कहा कोई बात नहीं ठीक हो जाएगा।