मैं जिस कॉलोनी में रहता था उस कॉलोनी में हम लोगों को आए हुए अभी कुछ ही समय हुआ था पापा का ट्रांसफर भठिंडा में हो गया था और हम लोग भी उनके साथ रहते थे। आस पड़ोस के माहौल को देखकर मुझे कुछ ठीक नहीं लगता था हम लोग ज्यादातर अपने घर पर ही रहते थे।
एक दिन मेरी बहन घर से बाहर निकली और वह सामान लेने के लिए गई इत्तेफाक से मैं भी उसके पीछे पीछे ही चला गया लेकिन कॉलोनी में रहने वाले कुछ लड़कों ने उसे छेड़ना शुरू कर दिया।
मैंने उनका विरोध किया तो उन्होंने मेरे साथ भी गाली गलौज की जिससे कि मैं भी अपना आपा खो बैठा और मैंने एक लड़के के गाल पर जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया।
आस पड़ोस के लोग भी वहां इकट्ठा हो गए थे और यह सब देखकर वह लड़के वहां से चले गए मेरी बहन रोती हुई मेरे पास आई और कहने लगी कि भैया अच्छा हुआ आप आ गए नहीं तो यह लड़के मुझे बहुत परेशान कर रहे थे। मैंने अपनी बहन से कहा चलो कोई बात नहीं उसे मैंने कहा कि तुम घर चली जाओ मैं सामान ले आता हूं।
वह घर चली गई और मैं उसके बाद सामान लेने के लिए चला गया मैं जब सामान लेने के लिए गया तो मैं समान लेकर घर लौट आया। मैं जब घर लौट आया तो मेरी बहन चुपचाप कमरे में बैठी हुई थी और वह किसी से भी बात नहीं कर रही थी मैं उसके पास गया और उसे कहा कि अब तुम इस बारे में भूल जाओ तुम इस बारे में जितना सोचोगी तुम्हें उतना ही बुरा लगेगा।
वह मुझे कहने लगी भैया मुझे बहुत ही बुरा लग रहा है मैंने उसे कहा कि अब तुम भूल जाओ यदि पापा मम्मी को इस बारे में पता चला तो वह बेवजह परेशान हो जाएंगे। मैंने उसे कहा कि तुम अभी इस बात को भूल जाओ उसके बाद मैं अपने रूम में चला गया।
मैं अपने घर से बहुत कम ही बाहर निकला करता था क्योंकि मैं अपनी तैयारियों में लगा था मैं प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रहा था इसलिए मैं घर से कम ही बाहर निकला करता था जब मुझे जरूरत होती तो उस वक्त ही मैं घर से निकलता था।
एक दिन मुझे कुछ किताब लेनी थी तो उसके लिए मुझे घर से बाहर निकलना पड़ा मैं अपने घर से बाहर निकला तो मैं घर के पास ही बस स्टॉप पर बस का इंतजार करने लगा बस अभी तक आई नहीं थी लेकिन तभी वहां से एक लड़की गुजर रही थी वह मुझे देख कर रुक गई और कहने लगी कि क्या आप बस का इंतजार कर रहे हैं।
मैंने उसे कहा कि हां मैं बस का इंतजार कर रहा हूं वह मुझे कहने लगी कि आइए मैं आपको छोड़ देती हूं मैंने उसे कहा नहीं मैडम आप चले जाइए। मैंने उसे कभी देखा भी नहीं था और ना ही मैं उसे जानता था लेकिन वह मुझे कहने लगी कि मैं भी अंदर कॉलोनी में ही रहती हूं।
मैंने सोचा कि चलो अब मुझे उनके साथ ही चले जाना चाहिए क्योंकि मुझे भी काफी देर हो गई थी और मैं अभी तक बस का इंतजार कर रहा था। जब मैं उनके साथ बैठा तो वह कहने लगी आप लोग तो यहां नये आए हैं ना मैंने उन्हें कहा हां मैडम हम लोग यहां नये आए है।
वह मुझे कहने लगे कि जिस घर में आप लोग अभी रह रहे हैं वहां पर पहले आकाश जी का परिवार रहा करता था और उन लोगों के साथ हमारी बड़ी अच्छी बातचीत ही लेकिन उनका भी ट्रांसफर हो चुका है।
मैंने उस लड़की से कहा कि आपका नाम क्या है तो वह मुझे कहने लगी मेरा नाम माधुरी है मैंने भी अपना परिचय दिया और अपना नाम बताया। वह मुझे कहने लगी की आप क्या कर रहे हैं तो मैंने माधुरी को बताया कि मैं प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं वह मुझे कहने लगे कि यह तो बहुत अच्छी बात है।
उन्होंने मुझसे पूछा कि आप कहां जा रहे हैं मैंने माधुरी को बताया कि मैं कुछ किताब लेने के लिए जा रहा था वह मुझे कहने लगी कि चलिए मैं आपको मार्केट तक छोड़ देती हूं। माधुरी ने मुझे वहां छोड़ा और उसके बाद वह निकल गई उसके बाद मैं जब भी माधुरी से मिलता तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिया करते थे और बात भी कर लेते थे।
माधुरी किसी कंपनी में जॉब करती थी और वह अक्सर सुबह अपने ऑफिस के लिए घर से निकल जाती थी। मैं अपनी पढ़ाई में ही व्यस्त था मुझे एग्जाम देने के लिए लुधियाना जाना था और मैं कुछ दिनों के लिए लुधियाना चला गया जब मैं एग्जाम देकर वहां से घर लौटा तो मुझे माधुरी मिल गई।
जब मुझे माधुरी मिली तो माधुरी मुझसे कहने लगी आप कहां से आ रहे हैं मैंने माधुरी से कहा कि मैं लुधियाना से आ रहा हूं वहां मेरा एग्जाम था। माधुरी मुझे कहने लगी कि आपका एग्जाम कैसा रहा मैंने माधुरी से कहा कि मेरा एग्जाम तो अच्छा ही रहा देखो बाकी क्या होता है।
माधुरी कहने लगी आपका सिलेक्शन जरूर हो जाएगा मैंने माधुरी से कहा यदि ऐसा हो जाए तो मेरी मेहनत सफल हो जाएगी माधुरी कहने लगी जरूर आपकी मेहनत एक दिन रंग लाएगी। माधुरी से अक्सर मेरी बातें होती रहती थी और उससे मुझे बात करना अच्छा भी लगता था जब भी माधुरी मुझे मिलती तो मैं उसे मुस्कुराकर हमेशा जवाब दे दिया करता था।
एक दिन माधुरी अपने पापा के साथ अपनी कार में जा रही थी तो उसने मुझे देखकर कार रोक लिया और उसने मुझे अपने पापा से भी मिलवाया।
माधुरी के पापा बड़े ही अच्छे थे और वह मेरे पापा को भी जानते थे क्योंकि वह लोग एक ही विभाग में काम करते थे इसलिए वह मेरे पापा को भी जानते थे और वह मेरे पापा की भी बड़ी तारीफ कर रहे थे। वह मुझे कहने लगे कि बेटा कभी तुम घर पर आना मैंने उन्हें कहा अंकल जरूर जब समय मिलेगा तो घर पर आऊंगा।
माधुरी के पिताजी तो मुझे बहुत अच्छे लगे और उसके बाद माधुरी से भी मेरी बातचीत होती रहती थी यह सिलसिला धीरे-धीरे दोस्ती में तब्दील होने लगा उसके बाद कब यह प्यार में बदल गया किसी को कुछ पता ही नहीं चला।
माधुरी मुझे अपनी सारी असलियत बता दी थी वह पहले एक लड़के से प्यार किया करती थी लेकिन अब वह उसकी जिंदगी से बहुत दूर जा चुका है इसलिए माधुरी का उससे कोई भी संपर्क नहीं है।
माधुरी ने मुझे उसके बारे में सब कुछ बता दिया था मैं भी अपने पढ़ाई में लगा हुआ था लेकिन जब भी समय मिलता तो मैं माधुरी से मिलने जाता था या फिर हम लोग घूमने चले जाते।
एक दिन मुझे माधुरी कहने लगी कि हम लोग कहीं घूमने के लिए चलते हैं तो मैंने उसे कहा ठीक है चलो फिर घुमने चलते है। हम दोनों उस दिन घूमने के लिए निकल पड़े जब हम लोग घूमने के लिए गए तो उस दौरान हम दोनों के बीच किस हो गया यह पहला ही किस था।
जब हम दोनों के बीच किस हुआ तो थोड़ा अजीब सा महसूस हुआ और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से भी नहीं मिल सके। मुझे जब माधुरी का फोन आया वह कहने लगी गौरव मुझे तुमसे मिलना था। मैंने उसे कहा तुम घर पर ही आ जाओ तो वह कहने लगी नहीं मैं तुम्हारे घर पर नहीं आ सकती तुम ही मेरे घर पर आ जाओ।
मैं माधुरी से मिलने के लिए उसके घर पर चला गया जब मैं माधुरी के घर पर गया तो वहां पर उसके पिताजी से मेरी मुलाकात हुई लेकिन वह कहीं जा रहे थे। माधुरी के पिताजी और उसकी मा जा चुके थे हम दोनों आपस मे बात कर रहे थे जब माधुरी ने मुझे किस किया तो मैंने माधुरी को अपनी बांहो मे लिया और मैने उसके साथ चुम्मा चाटी करनी शुरू कर दी था।
उसे भी अच्छा लगने लगा था और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था काफी देर तक मैंने उसके होंठो को चूमा और वह उत्तेजित होने लगी उसने अपने कपड़ों को उतारना शुरू कर दिया था।
जब उसने अपने कपड़े उतार दिए तो मेरे सामने उसका नंगा था उसके बदन को देखकर मैं अपने आपको रोक ना सका। जब मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू किया तो वह इतनी ज्यादा गरम हो गई और कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है।
मैंने उसे कहा मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा है मैंने उसकी योनि के अंदर अपनी उंगली को घुसाया तो उसकी योनि में मेरी उंगली नहीं जा रही थी क्योंकि उसकी योनि बड़ी टाइट थी। धीरे-धीरे मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर प्रवेश करवाने की कोशिश की जब मेरा मोटा लंड उसकी चूत मे घुसा उसके मुंह से चीख निकल पड़ी।
वह मुझे कहने लगी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है मैं लगतार तेज गति से माधुरी को धक्के दिए जा रहा था। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया था उसके दोनों पैर इतने चौडे हो चुके थे कि मैं आसानी से अपने लंड को उसकी योनि के अंदर बाहर कर रहा था जिससे कि मुझे भी मजा आ रहा था। वह भी पूरे जोश में आने लगी थी कुछ देर बाद मैंने उसे उल्टा लेटाते हुए उसकी गांड के छेद में अपनी उंगली को डाला मेरा मन उसकी गांड मारने का हो रहा था।
मैंने जब अपने लंड पर थूक लगाकर माधुरी की गांड में धीरे धीरे लंड को डालना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी गौरव ऐसा मत करो लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और मेरा लंड मधुरी की गांड में जा चुका था।
वह मुझे कहने लगी तुमने मेरी हालत खराब कर दी है मैंने उसे कहा मैं धीरे-धीरे ही तुम्हें धक्का मार रहा हूं। मैं धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था माधुरी कहती आराम करो।
मै आराम से उसकी गांड के अंदर अपने लंड को करे जा रहा था मुझे बड़ा मजा भी आ रहा था। मैंने जैसी ही तेजी से धक्के मारने शुरू किए तो उसके मुंह से चीख निकलने लगी। वह मुझसे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है मैंने उसे कहा बस कुछ देर की बात है।
मैने बड़ी तेजी उसे चोदना शुरू कर दिया ना जाने कब मेरा वीर्य पतन माधुरी की गांड के अंदर हो गया। वह मुझे कहने लगी तुमने मेरी गांड को पूरी तरीके से भर दिया है मैंने उसे कहा कोई बात नहीं माधुरी ऐसा हो जाता है, हम दोनों ऐनल सेक्स करते रहते है।