Gand ka diwana

जय ने मुझे आवाज देते हुए अंदर रूम में बुलाया और वह कहने लगे ममता कल मुझे बनारस जाना है तो मैं वहीं पर कुछ दिनों तक रहने वाला हूं। मैंने जय से कहा कि आप अपने ऑफिस के काम से वहां जा रहे हैं जय मुझे कहने लगे हां मैं अपने ऑफिस के काम से ही बनारस जा रहा हूं मुझे वहां से आने में हो सकता है दस से पंद्रह दिन लग जाए तुम अपना ध्यान रखना।

मैंने जय से कहा आज तो आप मुझसे ऐसे पूछ रहे हैं जैसे कि इससे पहले आप कहीं बाहर गए ही नहीं जय मुस्कुरा कर मुझे कहने लगे तुम भी बातों को कहां से कहां ले जाती हो। मैंने जय से कहा मैं तुम्हारा सामान रख देती हूं।

मैं एक आदर्शवादी पत्नी बन कर अपना जीवन जय के साथ व्यतीत कर रही थी और जय ने भी मुझे कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी वह मेरा ध्यान बड़े ही अच्छे से रखते।

मैं जब भी उन्हें किसी चीज के लिए कहती तो वह मेरे लिए हर वह चीज ले आते जिसकी मैं इच्छा व्यक्त करती थी। मैं जय का सामान रख रही थी तभी मैं अपनी पुरानी यादों में चली गई मैं सोचने लगी कि जब पहली बार जय मुझे देखने के लिए मेरे घर आए थे तो मैं उस वक्त कितना शर्मा रही थी जय के साथ मैं उस दिन खुलकर बात भी नहीं कर पाई लेकिन जब हम दोनों की शादी हो गई तो मैंने जय से इस बारे में कहा जय मुस्कुराने लगे।

मैं अपनी पुरानी यादों के बारे में सोच रही थी कि जय ने मुझे आवाज देते हुए कहा ममता क्या तुमने सामान रख दिया है। मैंने जय से कहा हां मैंने सामान रख दिया है। मैं सामान रख चुकी थी और उसके बाद मैं खाना बनाने के लिए रसोई में चली गई जब मैं खाना बना रही थी तभी मेरे पापा का फोन आ रहा था जय ने मुझे कहा तुम्हारे पापा का फोन आ रहा है।

मैंने जय से कहा तो तुम उनसे बात क्यों नहीं कर लेते जय कहने लगे ठीक है मैं ही उनसे बात कर लेता हूं। मैंने अपना खाना बना लिया था जय को आवाज देते हुए मैंने डाइनिंग टेबल पर बुला लिया हम दोनों ही साथ में रहते हैं जय के माता पिता अब इस दुनिया में नहीं है। जय घर में इकलौते हैं उनके माता पिता ने उन्हें बहुत अच्छी परवरिश दी और उसके बाद वह एक अच्छी जॉब भी लग गए हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताया करते हैं।

अगले दिन सुबह जय बनारस के लिए रवाना हो गए मैं घर पर अकेली थी जब जय बनारस पहुंचे तो जय ने मुझे फोन कर दिया था वह कहने लगे तुम ठीक तो हो ना मैंने जय से कहा भला मुझे क्या होगा मैं तो घर पर ही हूं। जय कहने लगे तुम अपना ध्यान रखना और यदि कोई परेशानी हो तो तुम पड़ोस की आंटी के पास चले जाना मैंने जय से कहा ठीक है मैं चली जाऊंगी।

मैं घर में अकेली थी इसलिए मैं हमारे पड़ोस में रहने वाली आंटी जी के घर पर चली गई उनका हमारे घर पर काफी आना जाना है वह पहले से ही हमारे घर पर आते रहते थे। मेरी शादी को अभी 4 वर्ष ही हुए थे लेकिन इन 4 वर्षों में हमारे जीवन में बहुत कुछ बदलाव आया इस बीच जय के माता पिता की मृत्यु हो गई और जय के ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी आन पड़ी थी हालांकि हम दोनों ही थे लेकिन फिर भी जय मेरा बहुत ध्यान रखते हैं।

मैं जब आंटी के साथ बैठी हुई थी तो आंटी मुझे कहने लगी बेटा आज काफी दिनों बाद तुम घर पर आई हो मैंने आंटी से कहा की जय अपने काम के सिलसिले में बनारस गए हुए हैं और वह कुछ दिनों बाद ही वहां से लौटेंगे। मैंने आंटी से कहा आज मीना नहीं दिखाई दे रही है मीना आंटी की बेटी है आंटी कहने लगे वह आज अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए गई हुई है।

जब आंटी ने मुझे यह बात कही की वह अपने दोस्तों के साथ घूमने गई हुई है तो मैंने आंटी से पूछा वह कहां गई है। आंटी कहने लगी आजकल के बच्चों का तो तुम्हें पता ही है वह अपने मां बाप से कुछ कहते ही नहीं है और उनका जहां मन होता है वहां वह चले जाते हैं मीना ने मुझे कुछ भी नहीं बताया।

मैंने आंटी से कहा आंटी क्या आप मीना से इस बारे में कुछ नहीं पूछती तो आंटी कहने लगी बेटा मैं अब उससे क्या पूछूं अब वह बड़ी होने लगी है और मुझे तो डर लगता है कि यदि मैंने उसे कुछ पूछा तो कहीं वह गुस्सा ना हो जाए इसलिए मैं उससे कुछ नहीं पूछती हमने उसे पूरी तरीके से आजादी दी हुई है उसका जो मन करता है वह वही करती है।

आंटी की आंखों में इस बात को लेकर थोड़ा चिंता जरूर थी और आखिरकार आंटी के मुंह से यह बात निकल ही गई, आंटी मुझे कहने लगी बेटा मुझे कई बार लगता है कि कहीं मीना के पैर डगमगा ना जाए और वह किसी गलत रास्ते पर ना चलने लगे।

अब वह जवान भी हो चुकी है और इस बात से मुझे बहुत डर लगता है लेकिन जब मैं मीना के पिता जी से इस बारे में बात करती हूं तो वह कहते हैं तुम भी पुराने ख्यालों में ना रहो अब जमाना बदल चुका है और मीना को अपने हिसाब से जीना चाहिए उसे अपने अच्छे और बुरे की सब समझ है लेकिन मुझे कई बार लगता है कि मीना अब भी नासमझ है और वह कहीं कोई गलत कदम ना उठा ले इस बात से मैं हमेशा चिंता में रहती हूं।

आंटी की चिंता बिल्कुल जायज थी क्योंकि मीना भी अब बड़ी होने लगी थी और हम दोनों मीना को लेकर ही बात कर रहे थे बात करते करते पता ही नहीं चला कि कब शाम होने आ गई। मैंने आंटी से कहा मैं घर चलती हूं तो आंटी कहने लगी रुको मैं तुम्हें चाय पिलाती हूं मैंने आंटी से कहा नहीं मैं अभी घर चलती हूं तो आंटी कहने लगी बेटा रुक जाओ मैं बस 5 मिनट में तुम्हारे लिए चाय बना कर ले आती हूं। आंटी अपने रसोई में चली गई और वह चाय बनाने लगी मैं बाहर हॉल में बैठी हुई थी तभी मीना भी आ गई मीना जब आई तो मैंने मीना से कहा और मीना तुम कहां गई थी।

मीना कहने लगी हां भाभी मैं आज अपने दोस्तों के साथ पिकनिक पर गई हुई थी। मीना के चेहरे की रंगद और बता रही थी कि वह बहुत खुश है वह फिर अपने रूम में चली गई तब तक आंटी भी आ गई आंटी और मैं चाय पीने लगे।

आंटी ने मीना को आता हुआ देख लिया था तो उन्होंने उससे पूछा कि क्या तुम भी चाय पीओगी मीना कहने लगी हां मुझे भी चाय पिला दो। आंटी ने मीना को भी एक कप चाय का दिया और वह अपने रूम में ही चाय पीने लगी मीना ना जाने अपने रूम में किस से फोन पर बात कर रही थी।

मैं सोचने लगी ना जाने आजकल के बच्चों को क्या हो गया है मैं चाय पीकर अपने घर पर चली गई। एक दिन मैं घर पर बहुत अकेली थी उस दिन मुझे ना जाने सेक्स की इतनी तलब क्यों लगने लगी। मुझे सेक्स की बहुत इच्छा होने लगी थी लेकिन उस वक्त मेरे पति जय भी घर पर नहीं थे।

मैने जय को फोन किया और उनसे कहा आज मेरी बड़ी इच्छा हो रही है। वह कहने लगे लेकिन मैं तो कुछ दिनों बाद वापस आऊंगा मैं बहुत ज्यादा तड़प रही थी। उसी वक्त मैंने डोमिनोज पिज़्ज़ा ऑर्डर किया जब पिज़्ज़ा आया तो मुझे उस डिलीवरी ब्वॉय वाले लड़के को देखकर उत्तेजित जागने लगी।

मैं उसे अश्लील इशारे करने लगी वह मेरी तरफ देखे जा रहा था उसे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन मैंने उसे कहा आओ ना रूम में चलते हैं। वह मेरे साथ रूम मे आने के लिए तैयार हो गया। जब वह रूम में आया तो मैंने अपने बदन से सारे कपड़े उतार दिए।

वह मेरे नंगे और हॉट बदन को देखकर रह ना सका उसने भी अपनी टी-शर्ट को उतारते हुए मुझे बिस्तर पर लेटा दिया जिस प्रकार से उसने मेरे होठों का चुंबन किया उससे मेरे अंदर एक अलग ही फीलिंग आने लगी थी मैं बहुत ज्यादा जोश में आ गई।

उसने मेरे स्तनों का रसपान काफी देर तक किया मैं पूरी तरीके से मजे में आ चुकी थी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया। जैसे ही मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा। मैं काफी देर तक उसके मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिग कर रही थी उसके लंड से पानी बाहर की तरफ निकलने लगा था वह पूरे जोश में आ गया। उसने मुझे कहा मैडम मुझे आपकी चूत मारने है उसने मेरी चूत पर अपने लंड को सटाया तो मेरी योनि बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। वह नौजवान युवक कहने लगा आपकी चूत से तो पानी बाहर की तरफ को निकल रहा है।

मैंने उसे कहा तुम जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो। उसने अपने मोटे से लंड को मेरी योनि के अंदर धकेलते हुए डाला तो उसका पूरा लंड मेरी योनि के अंदर तक प्रवेश हो चुका था। उसका मोटा लंड मेरी योनि के अंदर गया तो मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा वह मुझे बड़ी तेज गति से धक्के दिए जा रहा था। जिससे कि मेरे अंदर का जोश बढ़ने लगा था और वह भी बहुत खुश हो गया।

मेरी योनि की चिकनाई में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही थी उसके धक्को में तेजी आती जा रही थी। मैंने उसे कहा तुम ऐसे ही मुझे तेज गति से धक्का देते रहो उसने मुझे घोड़ी बना दिया और काफी देर तक ऐसे ही चोदता रहा। जब उसका मोटा लंड मेरी गांड के अंदर घुस गया तो मैं चिल्ला उठी।

मैंने उसे कहा तुमने यह क्या कर दिया तो वह मुझे कहने लगा मैडम मैं जब भी किसी के घर जाता हूं तो मुझे जब भी कोई हॉट भाभी दिखती है तो मैं उसकी गांड मार कर आ जाता हूं इसलिए मैंने आपकी गांड मे लंड डाला। वह बहुत तेजी से धक्के मारता जिससे कि मेरी गांड मे दर्द भी होने लगा था और कुछ ही क्षणों बाद उसने अपने वीर्य को मेरी गांड के अंदर प्रवेश करवा दिया। वह पैसे लेकर चला गया मेरी इच्छाओं को उसने बड़े अच्छे से पूरा किया।

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