मेरी सासू मां हमेशा मेरी तारीफ करते रहते है और कहती तुम्हारी जैसी गुणवंती और अच्छी बहू पाकर मैं बहुत खुश हूं मैं अपने सासू मां को कभी भी शिकायत का मौका नहीं देती थी और अपने पति प्रमोद को भी मैंने कभी कोई शिकायत का मौका नहीं दिया। प्रमोद भी मेरी खुशी का ध्यान रखा करते और कुछ ही समय पहले वह मुझे अपने साथ शिमला लेकर गए थे।
जब हम लोग शिमला गए तो वहां पर हम लोगों ने काफी अच्छे से एक दूसरे के साथ समय बिताया क्योंकि घर पर हम लोगों को ज्यादा समय नहीं मिल पाता था इसलिए प्रमोद चाहते थे कि मैं और वह कुछ दिनों के लिए अकेले शिमला जाएं।
हम दोनों जब शिमला से वापस आए तो मेरी सासू मां की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी उन्हें जब प्रमोद अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टर ने कहा कि उनके पेट में कुछ समस्या हो रही है जिस वजह से उन्हें अस्पताल में ही भर्ती करवाना पड़ेगा।
इस बात से प्रमोद चिंतित थे और मुझे भी बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि सासु मां ने मुझे अपनी बेटी के रूप में स्वीकार किया था। प्रमोद की बहन नंदिता भी दिल्ली से आ चुकी थी और सब लोग बहुत ज्यादा परेशान थे।
डॉक्टर ने कहा कि समस्या की कोई बात नहीं है कुछ ही समय बाद सब ठीक हो जाएगा और करीब तीन महीने मेरी सासू मां को ठीक होने में लग गए वह पूरी तरीके से स्वस्थ हो चुकी थी और मेरे साथ वह घर का काम भी किया करते थे।
हमारे ऊपर तो जैसे दुखो का पहाड़ टूट पड़ा था मेरी ननद के पति की एक कार दुर्घटना में मौत हो गई और उनके मृत्यु के बाद जब प्रमोद दिल्ली गए तो वह नंदिता के चेहरे को देखकर बहुत ज्यादा उदास हो चुके थे लेकिन वह हिम्मत करते हुए नंदिता को समझाते थे कि यदि कोई भी परेशानी हो तो हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं।
नंदिता का तो जैसे अब सब कुछ उजड़ चुका था और नंदिता के पास कुछ भी नहीं बचा था मैं भी बहुत परेशान थी क्योंकि प्रमोद के चेहरे पर अब पहले जैसी मुस्कान नहीं थी और वह बहुत कम बात किया करते थे।
कुछ समय बाद नंदिता के परिवार वालों ने भी उसे ताने देने शुरू कर दिये वह अब अपने ससुराल में नहीं रहना चाहती थी और नंदिता घर चली आई।
जब नंदिता घर आई तो मेरी सासू मां भी बहुत परेशान हो गई और कहने लगी बांके को ना जाने क्या मंजूर था जो अच्छा खासा परिवार बर्बाद हो गया नंदिता की शादी को अभी दो वर्ष ही हुए थे लेकिन दो वर्षों में ही उसकी शादी टूट चुकी थी।
इसमें नंदिता का कोई दोष नहीं था लेकिन उसके ससुराल पक्ष वाले उसे ही उसके पति की मृत्यु का जिम्मेदार ठहरा रहे थे जब नंदिता घर आई तो वह काफी उदास थी वह बहुत कम बात किया करती थी। एक दिन वह उदास अपने कमरे में बैठी हुई थी तो मैंने नंदिता से बात की और कहा देखो नंदिता अब भाग्य को जो मंजूर था वह तो हो ही चुका है लेकिन तुम्हें हिम्मत रखनी चाहिए।
नंदिता कहने लगी भाभी मेरे ऊपर क्या बीत रही है यह मैं ही समझ सकती हूं मैंने नंदिता से कहा मुझे मालूम है तुम्हारे ऊपर क्या बीत रही होगी। मैं भी नंदिता की पीड़ा को महसूस कर रही थी कि वह कितनी तकलीफ में है नंदिता अब धीरे-धीरे सामान्य होते जा रही थी उसके जीवन में भी अब रौनक के रूप में बाहर आ चुकी थी।
रौनक ने नंदिता को स्वीकार करने का फैसला कर लिया था हालांकि नंदिता को रौनक के माता पिता ने स्वीकार नहीं किया था लेकिन रौनक चाहता था की वह नंदिता से शादी कर ले। रौनक नंदिता के बचपन का दोस्त है और वह नंदिता को दिल ही दिल में चाहता था लेकिन किसी कारणवश वह नंदिता से अपने दिल की बात ना कह सका और नंदिता की शादी हो गयी।
जब उसको यह बात पता चली तो रौनक ने उसे स्वीकार करने का फैसला कर लिया और उन दोनों ने शादी करने का मन बना लिया लेकिन रौनक के माता-पिता इस बात को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं कर पाये और वह इस बात से बहुत ज्यादा दुखी हुए।
रौनक ने अपना घर छोड़ दिया और वह नंदिता के साथ अलग रहने लगा लेकिन रौनक को इस बात का कोई दुख नहीं था क्योंकि वह नंदिता से प्यार करता था इसलिए उसने नंदिता के साथ अलग रहने का फैसला कर लिया था।
नंदिता भी अब अपने जीवन में खुश थी और वह भी अब आगे बढ़ चुकी थी प्रमोद मेरा बहुत ध्यान रखा करते थे लेकिन प्रमोद का ट्रांसफर अब लखनऊ में हो चुका था मैं और मेरी सासू मां ही घर पर अकेले रह गए थे। मेरी सासू मां मेरा बहुत ध्यान रखती थी प्रमोद की कमी मुझे खलने लगी थी और प्रमोद से मैं दूरियां बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी क्योंकि मुझे प्रमोद के साथ रहने की आदत हो चुकी थी।
वह जब भी मुझे फोन करते तो मैं उन्हें हमेशा कहती कि मुझे तुम्हारी याद आ रही है प्रमोद कहते मैं जल्द ही तुम्हारे पास आ जाऊंगा। प्रमोद अपनी नौकरी के सिलसिले में एक छोटा सा कमरा लेकर रहने लगे थे मैं और मेरी सासू मां आगरा में रहा करते थे।
एक दिन मेरी सासू मां कहने लगे कि बहू तुम भी प्रमोद के पास चली जाओ लेकिन मैंने उन्हें कहा नहीं मां मैं आपकी देखभाल करना चाहती हूं और आप के पास ही रहूंगी। वह कहने लगी बेटा कुछ दिनो के लिए तुम प्रमोद के पास हो आओ मैंने अपनी सासू मां से कहा मां जी आप भी चलिए ना। हम दोनों ने लखनऊ जाने का फैसला कर लिया और हम दोनों लखनऊ चले गए प्रमोद को हमने इस बात की जानकारी दे दी थी।
हम लोग जब प्रमोद के छोटे से रूम में गए तो वहां पर माजी को काफी दिक्कत हो रही थी क्योंकि उन्हें डॉक्टर ने कहा था कि उन्हें ज्यादा गर्मी में मत रखिएगा। प्रमोद के कमरे में बहुत ज्यादा गर्मी हो रही थी इसलिए हम लोग ज्यादा दिन तक वहां नहीं रुक सके और वापिस आगरा लौट आए।
प्रमोद ने मुझे फोन किया और कहा मैं इसीलिए तो तुम लोगों को मना कर रहा था कि यहां मत आओ लेकिन मां कहां बात मानती हैं मैंने प्रमोद से कहा आप दूसरी जगह घर क्यों नहीं ले लेते। वह कहने लगे मैं जब शुरुआत में यहां आया था तब मुझे सबसे पहले यहीं रहने के लिए जगह मिली तो मैंने यहीं रहने का फैसला कर लिया मैं सोच रहा था कि मैं दूसरी जगह रूम ले लूं लेकिन फिलहाल संभव नहीं हो पा रहा है इसलिए मैं यहीं रह रहा हूं।
मैंने प्रमोद से कहा आप घर कब आएंगे। प्रमोद कहने लगे बस कुछ दिनों बाद मैं घर आ जाऊंगा स्कूल की छुट्टियां भी पड़ने वाली है और मैं कुछ ही दिनों बाद घर आ जाऊंगा। मैंने प्रमोद से कहा ठीक है मैं आपका इंतजार करूंगी और आपकी याद मुझे बहुत आती रहती है यह कहते हुए मैंने फोन रख दिया।
सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था नंदिता रौनक के साथ खुश थी मैं भी प्रमोद के साथ खुश थी। इसी बीच नंदिता और रौनक ने मुझसे कहा भाभी कहीं घूमने चलते हैं काफी समय हो गया है जब हम लोग पूरे परिवार के साथ कहीं नहीं गए हैं।
मैंने भी प्रमोद से कहा तो वह मान गए और कहने लगी ठीक है हम लोग घूमने चलते हैं हम सब साथ में घूमने के लिए केरल चले गए। जब हम लोग केरल पहुंचे तो वहां का दिल छू लेने वाला प्राकृतिक सौंदर्य वह हमें अपनी और खींच रहा था।
हम लोग बहुत ज्यादा खुश थे उसी बीच मैं रौनक को भी अपनी और आकर्षित करने लगे क्योंकि रौनक को देखकर मुझे ना जाने क्यों एक अलग ही फीलिंग पैदा हो जाती।
वह बहुत हेंडसम है उसके साथ में सेक्स करना चाहती थी। मेरे रौनक के साथ रिश्ता बीच में आ जाता परंतु मुझे और रौनक को मौका मिल गया। जब हम दोनों को मौका मिला तो उसी बीच रौनक मुझे अपने कमरे में ले गया और रात के वक्त हम दोनों ने सेक्स का भरपूर आनंद लिया।
मैंने रौनक के लंड को काफी देर तक चूसा जिससे कि उसका लंड तन कर खड़ा हो चुका था अब वह मेरी चूत की ओर बढ़ा। उसने मेरी चूत को चाट कर मेरी योनि से पानी बाहर निकाल दिया मेरी योनि से लगातार पानी का बहाव हो रहा था। मेरी उत्तेजना इस कदर बढ़ने लगी मैंने रौनक से कहा अब मुझसे रहा नहीं जा रहा।
रौनक ने भी अपने मोटे से लंड को मेरी योनि में प्रवेश करवा दिया उसका लंड मेरी योनि के अंदर जाते ही मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी। मेरी योनि से पानी लगातार बह रहा था रौनक ने मेरे दोनों पैरों को चौड़ा करके मुझे काफी देर तक धक्के दिए लेकिन जैसे ही मैंने रौनक से कहा तुम मेरी गांड के अंदर लंड को डालो।
रौनक ने मेरी गांड के अंदर अपने लंड को डाल दिया जैसे ही उसका मोटा सा लंड मेरी गांड के अंदर प्रवेश हुआ तो मैं चिल्लाने लगी। मैं काफी ज्यादा चिल्ला रही थी वह मुझे कहने लगा भाभी आराम से कोई सुन लेगा। मैंने रौनक से कहा तुम मेरी गांड जमकर मारते रहो मुझे अच्छा लग रहा है।
रौनक ने मेरी गांड के मजे काफी देर तक लिए रौनक का यह पहला ही मौका था और मैंने भी पहले ही बार किसी से अपनी गांड मरवाई थी। मैं बहुत ज्यादा खुश थी क्योंकि मेरी काफी समय से इच्छा थी मैं किसी से अपनी गांड मरवाऊ प्रमोद तो इन सब चीजों में रुचि नहीं रखते थे।
रौनक इन सब चीजों में बड़ी रुचि रखता था उसने काफी देर तक मेरी गांड के मजे लिया जैसे ही रौनक ने अपने वीर्य को मेरी गांड के ऊपर गिराया तो मैं उसे कहने लगी तुम्हारे साथ तो आज मजा ही आ गया।
मैंने रौनक से पूछा क्या तुम नंदिता के साथ भी ऐसे ही मज़ा लेते हो? रौनक कहने लगा भाभी बस पूछो मत हम दोनों तो एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा लेते हैं। नंदिता मुझे सेक्स का जमकर मजा देती है लेकिन वह मुझे अपनी गांड नहीं मारने देती परंतु आज आपने मेरी इच्छा पूरी कर दी इतने समय से जो मैं गांड मारने की इच्छा अपने मन में पाले हुआ था वह आज आपने पूरी कर दी।