“दोस्त दोस्त ना रहा, प्यार प्यार ना रहा”- इस गीत की शुरुआती पंक्ति कुछ दिनों पहले मेरे जीवन में घटी घटना का सही वर्णन है।
मेरा नाम सुधीर है। इस कहानी में आप पढ़ेंगे कि कैसे मेरे दोस्त ने ऑफिस में आई एक नई लड़की को चोदा, मेरे पीठ पीछे।
कुछ महीने पहले, हमारे ऑफिस में राधिका की पोस्टिंग हुई थी। राधिका को देखते ही मेरा कुंवारा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा था।
मैंने सोच लिया था कि चाहें कुछ भी हो जाए, राधिका को अपनी गर्लफ्रेंड बनाकर ही रहूँगा।
मुझे सिर्फ़ इस बात की चिंता थी कि उसका पहले से कोई बॉयफ्रैंड न हो। मेरी सामने से जाकर राधिका से बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
किस्मत से, मेरे दोस्त राहुल ने राधिका से बातचीत शुरू कर दी थी और उसे ऑफिस लंच टाइम में हमारे ग्रुप में लाना शुरू कर दिया था । कुछ दिनों बाद, मैं भी राधिका से बातचीत करने लगा था।
बातों बातों में मैंने पता लगा लिया कि उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है। यह जानकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई और मैं आगे की सोचने लगा था। सोचने लगा की राधिका को अपने प्यार के जाल में कैसे फसाऊ।
उसे पटाने के लिए मैंने अपने ऑफिस के दोस्त राहुल की मदत ली। राहुल की एक अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड है, इसलिए वह राधिका पर अपनी बुरी नज़र नहीं डालेगा, ऐसा सोचकर मैंने उसे मेरी मदत करने को कहा।
राहुल ने मुझको काफी सारी बातें समझाई और मैंने भी उसकी बातें सुनकर ठीक वैसा ही किया। फिर एक महीने बाद मैं और राधिका अच्छे दोस्त बने। अब मुझे बस उससे अपने प्यार का इज़हार करना था। बहनचोद! तभी काले बादल छा गए।
कई दिनों से मैंने देखा कि ऑफिस में चाय पीने के वक़्त, राधिका और राहुल, दोनों ही गायब रहते है। कभी-कभार तो लंच टाइम में भी नहीं दिखते। पहले तो मुझे लगा था कि शायद यह संयोग की बात है।
फिर एक दिन मैं जब ऑफिस में देरी से पहुँचा, तब राहुल और राधिका मुझे बाहर साथ में चाय पीते दिखाई दिए। मुझे बहुत जलन हुई थी उन दोनों को एक साथ देखकर। मैंने सोचा कि दोनों अच्छे दोस्त ही तो है, फिर क्या फरक पड़ता है साथ में चाय पीने से।
लेकिन उस दिन तो हद हो गई थी। शाम को निकलते समय मैंने ऑफिस के दो सिक्योरिटी गार्ड को बात करते सुना कि ऑफिस के दो कर्मचारी पार्किंग लोट में चुंबन लेते हुए दिखाई दिए। मैंने उसे ५०० रुपये दिए और पूछा कि वह कौन दो लोग थे।
उसने कहा कि वह नाम तो नहीं जानता लेकिन देखने पर बता सकता है। मैंने उसे मोबाइल में से राहुल और राधिका की फोटो दिखाई। उसने तुरंत उन्हें पहचान लिया।
फोटो देखकर दूसरा सिक्योरिटी गार्ड बोला कि यह दोनों रोज़ ऑफिस से साथ ही निकलते हैं। तब से मुझे राहुल के इरादों पर शक होना शुरू हो गया था।
अगले दिन ऑफिस में काम करने का मन नहीं लग रहा था। हर बार मुझे सिक्योरिटी गार्ड की बातें याद आ रही थी। मैंने जब राधिका के डेस्क की तरफ देखा तो वह वहाँ नहीं थी बल्कि वह राहुल के डेस्क पर थी।
दोनों कुछ बातें कर रहे थे। थोड़ी देर बाद, दोनों उठकर बाहर चले गए। मैंने उनका पीछा किया। वह जैसे ही ग्राउंड फ्लोर पर पहुँचे, दोनों अलग दिशा में चले गए। मैंने फिर राधिका का पीछा किया।
राधिका चलते हुए ऑफिस के बेसमेंट पर आ गई और खड़ी होकर इंतज़ार करने लगी। तभी बेसमेंट की दूसरी तरफ से राहुल चलकर आया।
ऑफिस टाइम पर बेसमेंट में ज़्यादा लोग आते-जाते नहीं होने के कारण इन सालों को अच्छी जगह मिल गई थी इश्क़ लड़ाने।
दोनों पार्किंग लोट में दो गाड़ियों के बीच में जाकर एक दूसरे से लिपट गए। राहुल ने राधिका को जाघों से पकड़कर उठाया और गाडी के बॉनट पर बिठा दिया। दोनों एक दूसरे को अपने बाहों में भरकर कुछ देर ऐसे ही रहे।
फिर राहुल अपने हाथों से राधिका की जाघों को सहलाने लगा। राधिका गरम होने लगी थी। उसने राहुल की चुंबन लेनी शुरू कर दी। दोनों एक दूसरे के होठों को मानो चूस रहे हो, ऐसी आवाज़ आ रही थी।
उत्तेजना के कारण राहुल ने राधिका को धक्का मारकर बॉनट पर लेटा दिया और उसकी कुर्ती उतारने लगा। राधिका की कुर्ती उतरने ही वाली थी की इतने में मेरा फ़ोन बज गया।
मैं तुरंत निचे झुक गया और छिपते हुए पार्किंग लोट से भाग आया। हाँफते हुए मैं अपने डेस्क पर पहुँचा।
जो नज़ारा मैंने देखा उससे मेरा दिल तो टूट गया था। मैंने लंच टाइम पर राहुल और राधिका की तरफ देखा, दोनों मानो जैसे एक दूसरे को जानते ही न हो ऐसे पेश आ रहे थे।
उस दिन मैंने सोच लिया था कि राहुल को उसके और राधिका के बिच पार्किंग लोट में जो नज़ारा मैंने देखा था उसके बारें में पूछूँगा।
ऑफिस का टाइम ख़तम होकर १ घंटा हो गया था फिर भी राधिका और राहुल निकल नहीं रहे थे। मुझसे और रहा नहीं जा रहा था, इसलिए मैं खुद राहुल के डेस्क पर जाने के लिए उठा।
उठते ही मैंने देखा कि राहुल और राधिका लिफ्ट की ओर जा रहे थे। मैं लिफ्ट तक पहुँचता, उससे पहले दरवाज़ा बंद हो गया। लिफ्ट की डिस्प्ले पर नज़र डाली तब पता चला कि यह दोनों टेरेस पर गए हैं।
मैं समझ गया कि यह दोनों ऑफिस में ही आज चुदाई करेंगे। मैं झट से टेरेस पहुँचा और इन्हें ढूंढने लगा।
यह दोनों टेरेस के कोने में फर्श पर कपडा बिछाकर एक दूसरे की चुम्मी ले रहे थे। रात के ०८: ०० बजे का वक़्त था। इस जगह पर ज़्यादा रोशनी न होने की वजह से यह दोनों यहाँ चुदाई करने आए थे।
राधिका राहुल के गोद में बैठी थी। राहुल उसके स्तनों को दबाते हुए उसके होठों की चुम्मी ले रहा था। थोड़ी देर बाद दोनों ने अपने-अपने कपडे उतार दिए।
राहुल ज़मीन पर लेट गया। राधिका ने अपने मोटे और गोरे चूतड़ों को फैलाया, जिसे देखकर राहुल का लंड खड़ा हो गया। राधिका अपनी नंगी गांड राहुल के मुँह के ऊपर रखकर बैठ गई और आगे झुककर उसका काला लंड चूसने लगी।
राहुल ने राधिका के चूतड़ों को जकड़ा, फैलाया और अपनी जुबान से उसकी चुत को चाटने लगा। राधिका इतनी गरम हो गई कि उसने अपनी गांड को ऊपर-निचे हिलाना शुरू कर दिया।
फिर राहुल ने चूत चाटते हुए अपनी बिच की उँगली को राधिका की गांड की छेड़ के अंदर गुसा दी। राधिका हवस की वजह से तिलमिला उठी और राहुल के लंड को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया।
राहुल ने अब अपनी जुबान को राधिका की गांड की छेड़ के अंदर घुसा दी। राधिका हवस के मारें पागल हो गई। उसने अपनी गांड को राहुल के चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद, राहुल ने राधिका को घुमा दिया और अपने लंड पर बिठाया। उसकी चूतड़ों को जकड़कर राहुल बड़ी तेज़ी से अपने लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
राधिका चिल्लाने लगी और उसने राहुल के बालों को दबोच लिया। कुछ देर बाद जब राहुल ने चोदने की गति धीमी की तब राधिका उसके होठों की चुंबन लेने लगी।
राहुल अब राधिका को हलके हाथों से पकड़कर अपने लंड पर उछाल रहा था। उसने उसकी गांड की दरार में उँगलियाँ घुमाई।
राहुल ने राधिका के स्तनों को दबाना शुरू किया। राधिका खुद अब राहुल के लंड के ऊपर उछल रही थी। वो मज़े लेते हुए कभी उछलती तो कभी कमर को गोल-गोल घुमाती।
थोड़ी देर ऐसे खेलने के बाद राहुल ने राधिका को कमर से पकड़कर गले लगाया और फिर एक बार ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया।
राधिका की चीखें रोकने के लिए राहुल ने उसके होठों को अपने होठों से दबा दिया।
अगले २-३ मिनट तक ऐसि तेज़ी से मेरा प्यार राहुल के लंड पर उछलता हुआ मुझे नज़र आया। राहुल ने राधिका को अपने ऊपर से हठा दिया और उसकी छाती के ऊपर जा बैठा।
राधिका ने राहुल के लंड को अपने मोटे स्तनों के बिच दबाकर उसे हिलाने लगी। कुछ देर बाद राहुल ने अपना लंड का पानी राधिका के मुँह पर झड़ दिया।
राधिका को अपने दोस्त के लंड पर मचलता देख मेरा दिल टूट गया। सब कुछ देख लेने के बाद मैं अब वहाँ से जाने लगा। जाते-जाते मुझे ऐसा लगा कि राधिका की नज़र मेरी नज़रों से मिली।
दोस्तों, यह थी मेरी कहानी। आप ज़रूर बताए कि आपको कैसी लगी।