Nokrani or dada ji ki sex story

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों को मेरा नमस्कार। मैंने इस कहानी में अपने दादाजी (उम्र ७२) और हमारे घर की नौकरानी के बिच हुई चुदाई मस्ती के बारे में लिखा है।

दादी के गुज़र जाने के बाद, दादाजी चूत की तलाश में मेरी माँ, अड़ोस-पड़ोस की औरतें सब पर मुँह मारने की कोशिश की, लेकिन किसी ने भी उन्हें घास नहीं डाली। शायद भगवान ने उनकी सुन ली थी, इसलिए हमारे घर में नई नौकरानी भेज दी।

हुआ यूँ कि हमारे घर में जो नौकरानी आती थी, उसकी सेहत हर ४-५ दिनों में बिगड़ जाती थी। इसलिए उसने अपनी बहूँ को हमारे यहाँ काम पर लगा दिया था। नई नौकरानी का नाम डॉली था। डॉली के घर आते ही, दादाजी के तेवर बदल गए थे।

माँ-पिताजी सुबह जल्दी काम पर निकल जाते हैं। मैं कॉलेज के लिए ०९: ३० बजे तक चला जाता हूँ। डॉली जब हमारे घर आती है, तब दादाजी ही उसका स्वागत करते हैं।

मुझे दादाजी और डॉली के बिच की नटखट मस्ती के बारे में तब पता चला, जब एक बार मैंने दादाजी को कॉल किया था। दादाजी फ़ोन कट करना भूल गए थे और मैंने फ़ोन पर से सारी बातें सुन ली थी।

उन दोनों की बातें सुनकर ऐसा लग रहा था कि मानो कोई प्रेमी-प्रेमिका रोमाँस कर रहे हो। मुझे पता लगाना था कि दादाजी और डॉली घर पर अकेले में क्या-क्या गुल खिलाते थे।

मैं कॉलेज से छुट्टी नहीं ले सकता था इसलिए मैं कोई दूसरी तरक़ीब के बारे में सोचने लगा। आख़िरकार, मेरे दिमाग में एक विचार आ गया था। मैंने एक वीडियो कैमरा मेरे कमरे में छिपा दिया और कॉलेज निकलते समय उसे चालू करके जाने लगा था।

२-३ दिन तक मुझे उन दोनों की कोई हरक़त नज़र नहीं आई थी। मैं और दादाजी एक ही कमरे में सोते हैं, इसलिए मैंने वीडियो कैमरा अपने कमरे में लगाया था। इसका मतलब यह भी था कि डॉली मेरे कमरे की साफ़-सफ़ाई करती ही नहीं थी।

मैंने वीडियो कैमरा हॉल रूम में लगा दिया क्यूँकि माँ-पिताजी अपने बेड़रूम को लॉक करके जाते थे। अगर दादाजी डॉली के साथ कोई मस्ती करते थे तो उन्हें हॉल-रूम में ही करना पड़ता होगा और शायद वह वहीं पर करते होंगे।

एक दिन, हॉल रूम में वीडियो कैमरा छिपाकर मैं कॉलेज जाते वक़्त उसे चालू करके चला गया। दोपहर को घर लौटने के बाद, मैंने वीडियो कैमरा में रिकार्डेड वीडियो देखने लगा। करीब ०९: ४५ बजे डॉली घर पर आई थी।

दादाजी ने दरवाज़ा खोला और डॉली अंदर आकर हॉल रूम के सोफ़े पर बैठ गई। दादाजी बाथरूम में चले गए और कुछ देर बाद, ब्रा और पैंटी हाथ में पकड़कर लौटे। वह ब्रा-पैंटी मेरी माँ की थी जो उसने धोने के लिए रखे थे। दादाजी ने डॉली को ब्रा-पैंटी दे दिए और डॉली वहीं पर खड़ी होकर अपने कपड़े बदलने लगी।

उसने अपनी पुरानी सलवार-कमीज़ उतार दिए और अपनी घिसी हुई ब्रा और चड्डी उतारकर माँ की ब्रा-पैंटी पहनने लगी। दादाजी अपना कुर्ता-पजामा निकालकर सोफ़े पर नंगे बैठ गए। वह अपने मोटे लौड़े को सहलाते हुए डॉली के बदन को घूर रहे थे।

डॉली दादाजी की गोद में बैठ गई और अपनी गाँड़ को उनके तनकर खड़े हुए लौड़े पर झूला रही थी। दादाजी डॉली की चुम्मियाँ लेते हुए उसके गोल-मटोल चूचियाँ अपने हाथों से दबा रहे थे।

कुछ देर बाद, डॉली नीचे बैठ गई और दादाजी के लौड़े को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। दादाजी डॉली के चहरे को पकड़कर उसके मुँह के अंदर अपना लौड़ा ज़ोर-ज़ोर से घुसा रहे थे। काफी देर तक डॉली ने दादाजी का लौड़ा चूसा और साथ में उनकी गोटियों को भी सहलाया।

डॉली उठकर खड़ी हो गई और दादाजी की तरफ़ अपनी गाँड़ करकर आगे झुक गई। दादाजी ने डॉली की चुत्तड़ को पकड़ लिया और उन्हें फैलाकर दबाने लगे। उसकी गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान घुसाकर चाटने लगे। डॉली उत्तेजित होकर अपनी गाँड़ को ज़ोर से हिला रही थी।

डॉली की कमर को कसके पकड़कर दादाजी सोफे पर लेट गए और उसे अपने ऊपर चढ़ा दिया। उसकी पैंटी के अंदर अपने हाथ घुसाकर दादाजी उसकी गाँड़ मसलने लगे थे। डॉली की गाँड़ की दरार में अपनी उँगलियाँ फसाकर उसकी गाँड़ फैलाने लगे।

दादाजी और डॉली ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगे थे, तब दादाजी ने उसके होठों को अपने मुँह में भर दिया।

कुछ देर बाद, दादाजी ने डॉली की पहनी हुई पैंटी निकालकर फेंकी और उसकी गाँड़ को उठा दिया। डॉली की चिकनी गाँड़ देखकर मैंने अपना लौड़ा बाहर निकला और उसे हिलाने लगा।

दादाजी डॉली की गाँड़ की छेद के अंदर अपनी दो उँगलियाँ घुसाकर उन्हें अंदर-बाहर करने लगे। उसकी गाँड़ पर थप्पड़ मारकर उसकी चीख़ें निकालने लगे।

डॉली घूमकर दादाजी के लौड़े के पास मुँह करके उनपर लेट गई। दादाजी डॉली की गाँड़ को फैलाकर उसके छेद के अंदर अपनी ज़ुबान घुसा रहे थे। डॉली उत्साहित होकर दादाजी का मोटा लौड़ा पकड़कर उसे चूसने लगी।

दादाजी अपनी ज़ुबान को डॉली की झाँटो से भरी चूत में घुसाकर उसे चाट रहे थे। उसकी चूत में थूक मारकर उसे अच्छी तरह से चूस रहे थे। डॉली उत्तेजित होकर हलकी आवाज़ में चीख़ने लगी थी।

दादाजी ने अपनी उँगली को डॉली की गाँड़ की छेद में घुसा दिया था, जिसकी वजह से डॉली ज़ोर से चीख़ उठी। दादाजी ने उसे थप्पड़ मारकर उसे चुपचाप लौड़ा चूसने को कहा। दादाजी डॉली की चूत चाटते हुए उसकी गाँड़ की छेद में ज़ोर-ज़ोर से अपनी उँगली को अंदर-बाहर करने लगे थे।

डॉली पलटकर दादाजी के लौड़े पर बैठ गई। दादाजी ने अपने लौड़े की नोक को उसके चूत के पास रखकर उसे बिठा दिया। डॉली को गाँड़ से उठाकर दादाजी उसे अपने लौड़े पर उछालने लगे थे।

थोड़ी देर बाद, दादाजी ने डॉली को अपने गले से लगाकर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चुदाई करने लगे। डॉली की उछलती गाँड़ को देखकर मैंने भी अपने लौड़े को तेज़ी से हिलाना शुरू किया था।

डॉली की गाँड़ मसलकर दादाजी उसकी चीख़ें निकालने लगे। चीख़ों की आवाज़ को दबाने के लिए डॉली के होठों को अपने मुँह के अंदर भरकर उसे चूसने लगे थे।

दिवार पर टँगी घड़ी को देखते हुए, दादाजी ने डॉली को अपने ऊपर से हटा दिया और सोफे के पास खड़े हो गए। दादाजी ने डॉली को सोफे पर पिठ के बल लेटा दिया।

उसके पैरों को पकड़कर फैलाया और अपने लौड़े को उसकी चूत के पास लेकर गए। उसकी चूत पर थूक मारकर अपने लौड़े को अंदर-बाहर घुसाने लगे। अपना पूरा वज़न डॉली के ऊपर डालकर, दादाजी उसकी चूत की ज़ोर-ज़ोर से ठुकाई कर रहे थे।

उनकी पीठ में दर्द होने की वज़ह से वह ज़्यादा देर तक खड़े होकर चुदाई नहीं कर पाए, इसलिए वह खुद सोफे पर बैठ गए। डॉली की गाँड़ को अपनी तरफ रखकर उसे खड़ा कर दिया।

दादाजी ने उसकी कमर को पकड़कर उसे आगे झुका दिया और अपने लौड़े पर उछालने लगे। डॉली अपने मुँह पर हाथ रखकर दादाजी के लौड़े पर अपनी गाँड़ पटक रही थी।

उसकी मोटी गाँड़ को पकड़कर दादाजी उत्तेजित हो गए और तेज़ी से डॉली को अपने लौड़े पर उछालने लगे। डॉली की चुदाई करते वक़्त, दादाजी उसकी गाँड़ पर थप्पड़ मारकर उसे उकसाह रहे थे।

उसकी गाँड़ की छेद में दो उँगलियाँ घुसाकर डॉली को मस्त कर रहे थे। मैं भी उत्तेजित होकर अपने लौड़े को ज़ोर-जोर से हिलाने लगा था।

थोड़ी देर बाद, दादाजी ने डॉली को उसकी जाँघों से पकड़कर अपने ऊपर बिठा दिया। अपने लौड़े को उसकी चूत पर कुछ देर रगड़ने के बाद उसे अंदर घुसाकर चुदाई को जारी रखा।

डॉली को उसकी जाँघों से पकड़कर दादाजी उसकी चूत के अंदर अपने लौड़े को ज़ोर-ज़ोर से घुसाने लगे। उसकी चुदाई करते वक़्त, दादाजी डॉली की चूचियों को दबोचकर उन्हें मसल रहे थे।

थोड़ी देर बाद, दादाजी उठकर खड़े हो गए अपने लौड़े को डॉली के मुँह के अंदर घुसा दिया। डॉली दादाजी का लौड़ा बड़े प्यार से चूस रही थी। उन दोनों का प्यार देखकर मेरी गाँड़ जल रही थी।

दादाजी का लौड़ा चूसते-चूसते उसने उनके लौड़े का पानी निकाल दिया। दादाजी के लौड़े का पानी पीकर डॉली खड़ी हो गई और दादाजी की चुम्मियाँ लेने लगी। दादाजी डॉली की गाँड़ पकड़कर उसके होंठों को चूस रहे थे।

दादाजी ने डॉली को उसके कपड़े पहनाए और फिर दोनों बाथरूम में चले गए। ३० मिनट बाद, डॉली बाथरूम से निकलकर घर से चली गई। दादाजी उसे दरवाज़े तक छोड़ने आए थे और वहाँ पहुँचने तक उसकी गाँड़ पर अपना हाथ सहला रहे थे।

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