मैं बैंक में नौकरी करती हूं और माधव अपना बिजनेस चलाते हैं हम दोनों के पास समय नहीं हो पाता है। मैं सुबह ही घर से निकल जाती हूं और माधव भी अपने काम पर दस बजे चले जाया करते हैं। हमारे दो बच्चे हैं मेरी बेटी काजल की उम्र 10 वर्ष है और मेरे बेटे ललित की उम्र 7 वर्ष है मैं अपने दोनों बच्चों को सुबह तैयार कर दिया करती हूँ उसके बाद मैं नाश्ता बनाकर चली जाती हूँ।
माधव भी मेरे साथ थोड़ा बहुत हाथ बढ़ा दिया करते थे क्योंकि मैं जल्दी चली जाती थी इसलिए माधव घर का थोड़ा बहुत काम कर के जाया करते थे। दोपहर के वक्त मैं उन्हें कर दिया करती थी क्योंकि वह कभी भी दोपहर का खाना नहीं खाते थे इसलिए मैं हर रोज उन्हें फोन करती थी और मेरे कहने पर वह खाना खा लिया करते थे।
हम दोनों की पहली बार मुलाकात लाइब्रेरी में हुई थी हर रोज मुलाकात के दौरान शायद हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जीवन बिताने के बारे में सोच लिया था। मैं उस वक्त अपने कॉलेज में ही पढ़ा करती थी मेरी उम्र उस वक्त 20 वर्ष की रही होगी लेकिन मेरा दिल माधव पर आ चुका था।
माधव को जब मैंने पहली बार देखा था तो माधव के घुंघराले से बाल और उनकी लंबी कद काठी पर मैं पूरी तरीके से फिदा थी और माधव ने भी शायद मुझे देखते ही पसंद कर लिया था। हम दोनों की नजरें एक दूसरे से टकराने लगी थी और कुछ ही समय बाद हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए हमारी दोस्ती धीरे धीरे प्यार में बदल गयी हमने शादी के बारे में सोच लिया और हम दोनों ने शादी कर ली।
हम दोनों एक दूसरे के साथ शादी कर के बहुत खुश थे लेकिन कुछ समय से मैं देख रही थी कि माधवा बदलने लगे हैं हमारी शादी को अब इतने वर्ष हो गए हैं माधव भी थोड़ा बहुत तो बदलने लगे थे। माधव को शराब की लत ने खींच लिया था और वह हर शाम शराब पीकर आने लगे थे इस वजह से मैंने उन्हें कई बार समझाने की कोशिश की। पहले तो मुझे लगा कि वह समझ जाएंगे लेकिन वह मेरी बात ना माने क्योंकि मैं अपने बैंक के काम में बिजी रहती थी।
मुझे लगता था कि शायद मैं माधव का ध्यान नहीं रख पा रही हूं इसलिए मैंने घर में काम करने वाली मेड को रख लिया हमारे पड़ोस में शीला दीदी रहती हैं उन्होंने ही मुझे कहा कि हमारे घर पर जो काम वाली मेड आती है मैं उससे बात कर लूंगी। मैंने दीदी को अपनी समस्या के बारे में बताया दीदी बहुत समझदार है और वह हमेशा ही मेरी मदद किया करती हैं इसीलिए मैंने दीदी से अपनी बात कही।
जब दीदी से मैंने यह बात कही कि मैं और माधव एक साथ ज्यादा समय नहीं बिता पा रहे हैं तो दीदी ने मुझे कहा तुम चिंता मत करो हमारे घर पर जो मेड़ आती है वह जरूर कोई ना कोई बंदोबस्त कर देगी। कुछ ही समय बाद दीदी के घर में काम करने वाली मेड ने मुझे एक महिला से मिलवाया उस महिला की उम्र 40 वर्ष के आसपास रही होगी मैंने उसे पूछा क्या तुम इससे पहले भी काम कर रही थी।
वह अपने अंदाज में कहने लगी हां दीदी मैं इससे पहले भी आप ही की कॉलोनी में काम करती थी मैंने उससे पूछा तो तुमने वहां पर काम क्यों छोड़ा। वह मुझे कहने लगी बस दीदी ऐसे ही जहां पर मैं काम करती थी वहां मुझे कुछ ठीक नहीं लगा वह लोग मुझे समय पर पगार भी नहीं देते थे इसलिए मुझे लगा कि मुझे अब काम ही छोड़ देना चाहिए और मैंने वहां से काम छोड़ दिया।
मैंने शालू से कहा देखो शालू तुम्हें समय पर पैसा मिल जाया करेगा तुम चिंता बिल्कुल भी मत करना। शालू मुझे कहने लगी दीदी यदि मुझे समय पर पगार मिल जाया करेगी तो मैं अच्छे से काम करूंगी मेरे बच्चे भी स्कूल पढ़ने जाते हैं और मेरे भी कुछ सपने हैं मैं उन्हें पूरा करना चाहती हूं मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चे भी मेरी तरह ही किसी के घर में झाड़ू पोछा का काम करें।
मैंने शालू से कहा तुम पैसे की बिल्कुल चिंता मत करो लेकिन कल से तुम समय पर आ जाया करना वह मुझे कहने लगी ठीक है दीदी मैं सुबह ही काम पर आ जाया करूंगी। वह सुबह के वक्त ही काम पर आ जाया करती थी वह सुबह 7:00 बजे आ जाया करती थी जिससे कि अब मैं और माधव साथ में समय बिताने लगे थे।
हम दोनों सुबह का अख़बार साथ में ही पढ़ते थे और हम लोग उसके बाद साथ में नाश्ता किया करते मैं इस बात से खुश थी कि शालू घर में अच्छे से काम कर रही है और उसके काम में मुझे कोई भी शिकायत नहीं दिखाई देती थी। एक दिन शीला दीदी हमारे घर पर आई हुई थी उस दिन मैं भी घर पर ही थी तो शीला दीदी ने मुझसे पूछा तुमने जो नई नौकरानी घर पर रखी है वह काम तो अच्छे से कर रही है।
मैंने दीदी से कहा हां दीदी वह काम अच्छे से कर रही है शीला दीदी ने मुझसे मजाकिया अंदाज में कहा अब तो तुम अपने पति का ध्यान दे पा रही हो या नहीं। मैं मुस्कुराने लगी और मैंने दीदी से कहा हां दीदी अब मुझे और माधव को समय मिल जाता है सुबह के वक्त बच्चे स्कूल चले जाते हैं और शालू घर का काम कर दिया करती है और माधव भी खुश नजर आते हैं।
शीला दीदी कहने लगी अभी मैं चलती हूं हमारे घर पर कुछ मेहमान आने वाले हैं मैंने दीदी से कहा ठीक है दीदी जब आपको समय हो तो आप आइयेगा। दीदी कहने लगी ठीक है जब मैं फ्री रहूंगी तो तुमसे मिलने के लिए आऊंगी और उसके बाद दीदी चली गई।
उस दिन माधव भी घर पर ही थे मैंने माधव से कहा कि आज आप घर पर ही हैं वह कहने लगे हां आज मैं सोच रहा था कि घर पर ही रहूँ। मैंने उन्हें कहा आज हम लोग कहीं साथ में शॉपिंग करने के लिए चलते हैं, माधव कहने लगे ठीक है तो फिर तुम तैयार हो जाओ। माधव भी तैयार हो चुके थे और मुझे तैयार होने में आधा घंटा लग गया उसके बाद हम लोग चले गए हम लोग उस दिन बच्चों को भी अपने साथ लेकर गए।
जब हम बच्चों को मॉल में ले गए तो वह हम दोनों से कहने लगे कि हमें गेम खेलना है मैं उन्हें मॉल के सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर ले गई और वहां पर उन्होने काफी देर से गेम खेला। बच्चे बहुत ज्यादा खुश थे और मैं भी माधव के साथ इतने समय बाद समय बिता कर खुश थी हम लोग मॉल से वापस घर लौट आए।
हम लोगों को शाम हो चुकी थी और उस दिन मैंने शालू को कहा था कि तुम शाम के वक्त आना क्योंकि सुबह का काम मैंने हीं कर लिया था तो शालू शाम के वक्त घर पर आई। वह हमारे लिए खाना बनाने के लिए किचन में चली गई और मैं भी अपने बेडरूम में कपड़े चेंज करने लगी।
मैं जब बेडरूम से बाहर आई तो मैं किचन में गई वहां पर मैंने जो देखा उससे मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। माधव ने शालू को अपनी बाहों में लिया हुआ था शालू भी जैसे माधव की बाहों में आने के लिए तड़प रही थी। जब मैंने यह सब देखा तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गई मैंने शालू से कहा तुम दोनों यह क्या कर रहे हो।
माधव ने शालू को छोड़ दिया उसके बाद मुझे हमेशा यही चिंता सताने लगी लेकिन एक दिन मैंने माधव और शालू को अंतरंग संबंध बनाते हुए पकड़ लिया वह दोनो एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का आनंद ले रहे थे। मेरा दिल बुरी तरीके से टूट चुका था मैंने जब यह बात शीला दीदी को बताई तो उन्होंने मुझे कहा तुम भी किसी ऐसी को क्यों नहीं देख लेते जो तुम्हारी इच्छा को पूरी कर दिया करे।
मैंने पूरा मन बना लिया था मैंने एक दिन एक नौजवान युवक को अपने फोन के माध्यम से फसाना शुरू किया। वह जब मेरे पास आया तो उसकी कद काठी और उसका रूप रंग देखकर मैं उस पर फ़िदा थी उसका नाम विशाल था।
विशाल की छाती इतनी चौड़ी थी कि मैंने उसे अपने हाथों से सहलाना शुरू किया तो वह भी मुझे कहने लगा अब आप भी अपने स्तनों को मुझे दिखाइए ना। मैंने भी अपने बदन से अपने कपड़े उतार दिए और विशाल से कहा तुम मेरी ब्रा को खोलो ना। उसने मेरी ब्रा को खोल दिया और मेरे स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया।
विशाल मेरे स्तनों का रसपान बड़े अच्छे से कर रहा था मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी। मुझे उस वक्त विशाल ही नजर आ रहा था मैंने जब उसकी छाती पर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो मुझे अच्छा महसूस होने लगा उसने भी मेरी योनि को बहुत देर तक चाटा। मेरी योनि से गिला पदार्थ बाहर की तरफ निकलने लगा तो वह मुझसे कहने लगा अब मैं रह नहीं पाऊंगा।
मैंने भी उसके लंड को काफी देर तक अपने मुंह में लेकर सकिंग किया जिससे कि हम दोनों की उत्तेजना पूरे चरम सीमा पर थी। मैंने उसके लंड से पानी भी निकाल दिया उसने जब मेरी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो मैं चिल्लाने लगी और मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा।
वह बड़ी तेज गति से मुझे धक्के मार रहा था जिस प्रकार से उसने मुझे धक्के दिए उससे मेरी इच्छा पूरी होने लगी थी काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे के साथ संभोग करते रहे।
हम दोनों ने एक दूसरे के साथ 10 मिनट तक संभोग किया, 10 मिनट के संभोग के दौरान मुझे ऐसा लगा जैसे में सबसे ज्यादा खुशनसीब हूं। जब विशाल ने अपने वीर्य को मेरे मुंह के अंदर गिराया तो मैंने उसके वीर्य को अंदर ही निगल लिया मुझे बहुत अच्छा लग रहा था विशाल ने मेरा साथ बड़े अच्छे से दिया।
मैं अपने पति की बेवफाई से बहुत परेशान थी लेकिन मेरे पति अब भी शालू के साथ अपने नाजायज संबंध जारी रखे हुए थे। मैंने भी विशाल को कई बार अपने घर पर बुलाया जिससे कि मेरी इच्छा पूरी हो जाया करती थी। मैं बहुत ज्यादा खुश थी मेरे पति की जगह विशाल ही मेरी इच्छा पूरी कर दिया करता।
विशाल के बाद ना जाने मेरे जीवन में कितने और नौजवान युवक आए उन्होंने भी मुझे सेक्स का पूरा मजा दिया मैं बहुत ज्यादा खुश थी कि मैं अपने जीवन में अच्छे से सेक्स का मजा ले पा रही हूं।