मेरी तबीयत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी मैं घर पर ही था मेरे भैया मुझे डॉक्टर के पास ले गए डॉक्टर ने मुझे दवा दी और कहा कि तुम्हें कुछ दिन आराम करना पड़ेगा मैं कुछ दिन घर पर ही था। दो दिन बाद मैं ठीक होने लगा था उस दिन मेरे दोस्त का फोन मुझे आया और वह कहने लगा कि राजेश तुम कहां हो तो मैंने उसे फोन पर बताया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है और मैं घर पर ही हूं।
वह कहने लगा क्या तुम आज कॉलेज आ रहे हो मैंने उसे कहा नहीं आज तो मैं कॉलेज नहीं आ पाऊंगा। हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बात कर रहे थे तो उसने मुझे बताया कि हम लोगों के कॉलेज का टूर घूमने के लिए माउंट आबू जाने वाला है। मैंने उससे कहा कि दो दिन बाद मैं कॉलेज आ जाऊंगा वह कहने लगा ठीक है राजेश उसने फोन रख दिया और मैंने भी फोन रख दिया था।
मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था मेरी मां कहने लगी कि राजेश बेटा तुम कुछ खा लो सुबह से तुमने कुछ खाया भी नहीं है। मैंने मां को कहा मां अभी रहने दो मेरा मन बिल्कुल भी नहीं है मां कहने लगी ठीक है बेटा यदि तुम्हारा खाने का कुछ मन हो तो तुम मुझे बता देना मैंने मां से कहा ठीक है मैं आपको बता दूंगा।
मैंने मां से कहा मां मैं कुछ देर आराम कर लेता हूं उसके बाद मैं दवाई खा कर लेट गया और मुझे पता नहीं कब नींद आ गई कुछ मालूम ही नहीं पड़ा। मेरी तबीयत अब पहले से बेहतर थी और दो दिन बाद मैं कॉलेज गया जब मैं कॉलेज गया तो मेरे दोस्त संतोष से मेरी मुलाकात हुई उसने मुझे बताया कि हम लोग घूमने के लिए माउंट आबू जा रहे हैं।
मैंने उसे बताया कि क्या हमारे कॉलेज की तरफ से हम लोग घूमने जा रहे हैं तो वह कहने लगा कि हां हम लोग कॉलेज की तरफ से ही घूमने के लिए जा रहे हैं। हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे कि तभी हमारे क्लास में हमारे प्रोसेसर आ गये और उन्होंने हमें पढ़ाना शुरू किया। हम लोगों की क्लास खत्म हो जाने के बाद मैंने संतोष को कहा कि चलो केंटीन से हम लोग कुछ खा लेते हैं वह कहने लगा ठीक है राजेश।
हम दोनों कैंटीन चले गए और जब हम लोग कैंटीन गए तो उसके बाद मैं और संतोष वहां पर बैठे हुए थे मैंने कैंटीन में समोसे का ऑर्डर दे दिया और समोसे के साथ मैंने चाय भी मंगवा ली। हम दोनों बैठ कर बात कर रहे थे संतोष मुझसे कहने लगा कि मैं तो बहुत ज्यादा खुश हूं कि हम लोग घूमने के लिए माउंट आबू जाने वाले हैं मैंने संतोष को कहा खुश तो मैं भी बहुत हूं।
हम लोग करीब एक हफ्ते बाद अब माउंट आबू जाने वाले थे और हमारे क्लास में इसी को लेकर चर्चा चल रही थी। हम लोग जब क्लास में गए तो सब लोग इसी बारे में बात कर रहे थे उस दिन शाम को मैं और संतोष साथ ही घर लौटे। मैंने उसको उसके घर तक छोड़ दिया था क्योंकि संतोष अपनी मोटरसाइकिल लेकर नहीं आया था इसलिए मैंने ही उसे उसके घर तक छोड़ा।
मैं जब घर पहुंचा तो मां कहने लगी कि राजेश बेटा तुम आ गए तो मैंने मां से कहा हां मां। मां ने मुझे बताया कि आज हम लोग कहीं बाहर जाने वाले हैं मैंने मां से कहा लेकिन मां हम लोग कहां जाने वाले हैं तो मां ने मुझे बताया कि पापा के कोई दोस्त हैं आज हम लोग उनके किसी फंक्शन में जाने वाले हैं।
मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं तैयार हो जाता हूं लेकिन हम लोग कितने बजे तक जाएंगे। मां कहने लगी बेटा यही कोई 7:00 बजे के आसपास हम लोग घर से निकलेंगे क्योंकि अभी तो तुम्हारे पापा भी ऑफिस से नहीं आए हैं और तुम्हारे भैया भी अभी ऑफिस से नहीं आए हैं जब वह लोग आ जाएंगे उसके बाद ही हम लोग जाएंगे मैंने मां से कहा ठीक है।
मैं अपने रूम में ही बैठा हुआ था और अपने रूम में बैठकर मैं अपने मोबाइल को टटोलने लगा मैं मोबाइल में अपने कुछ पुराने दोस्तों के नंबर देख रहा था जो कि मेरे साथ को स्कूल में पढ़ा करते थे। मैंने उनमें से महेश का नंबर निकाला महेश से मेरी काफी समय से बात नहीं हुई थी तो मैंने सोचा कि महेश से मैं फोन पर बात कर लेता हूं। मैंने महेश को तुरंत फोन किया और जब मैं उससे बात करने लगा तो वह मुझे कहने लगा कि राजेश आज तुमने मुझे बहुत समय बाद फोन किया है।
हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मैंने उससे पूछा तुम आजकल क्या कर रहे हो तो उसने मुझे बताया कि मैं अपने पापा का बिजनेस संभाल रहा हूं। महेश के पापा का खुद का बिजनेस है और उसे ही महेश संभाल रहा था मैं और महेश स्कूल में बहुत अच्छे दोस्त थे।
हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे से बात की महेश ने मुझे कहा कि कभी तुम मुझसे मिलने के लिए घर पर आओ तो मैंने उसे कहा हां जरूर मैं तुमसे मिलने के लिए घर पर जरूर आऊंगा। मेरी बात महेश के साथ करीब आधे घंटे तक हुई और हम दोनों ने एक दूसरे से काफी बात कि हमने अपनी कुछ पुरानी यादों को भी ताजा किया कि स्कूल में कैसे हम लोग शरारत किया करते थे।
थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने फोन रख दिया था और जब पापा और भैया आ गए तो उसके बाद मैं तैयार होने लगा हम लोग घर से करीब 7:30 बजे निकले थे। पापा के दोस्त ने जिस जगह फंक्शन का अरेंजमेंट करवाया था वहां हम लोग पहुंच गए थे। जब हम लोग रास्ते में थे तो पापा ने बताया कि उनके बेटे की जॉब लगी है इसलिए वह अपने कुछ चुनिंदा लोगों को बुलाकर एक छोटी सी पार्टी करवाना चाहते हैं।
जब हम लोग उस जगह गए तो वहां पर उन्होंने काफी अच्छे सा अरेंजमेंट करवाया हुआ था। हम लोग जब उस पार्टी में पहुंचे तो पापा ने हम लोगों का परिचय अपने दोस्त से करवाया। मैं एक कोने में आकर बैठ गया मैं वहीं बैठा हुआ था तभी मैंने सामने से आती हुई एक लड़की को देखा उसके बाल खुले हुए थे और उसने काली रंग की जींस पहनी हुई थी उसकी टाइट फिटिंग जींस देखकर मैं उसकी गांड को देखने लगा।
वह भी मुझे बार-बार देख रही थी मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह मेरे पास आकर बैठेगी। जब वह मेरे पास आकर बैठी तो वह मुझसे बात करने लगी मैंने उससे बात की तो वह कहने लगी तुम्हारा क्या नाम है? मैंने उस से कहा मेरा नाम राजेश है अब मुझे उसने अपना नाम बताया उसका नाम कविता है कविता और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे उसी दिन मैंने कविता का नंबर ले लिया और पार्टी खत्म हो जाने के बाद हम लोग घर लौट गए थे लेकिन कविता और मैं दूसरे से बात करते ही रहते थे।
हम दोनों की बातें अब हर रोज होने लगी थी मैं जब कविता से बाते किया करता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता एक दिन मैं कविता से फोन पर बात कर रहा था तो मैंने उससे उस दिन बड़ी ही गरम बात कि जिससे कि वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कविता अपने घर में इकलौती है इसलिए वह बड़ी बोल्ड और बिंदास है।
मैंने उसे कहा मै तुम्हें मिलने के लिए तुम्हारे घर पर आता हूं वह कहने लगी कुछ दिनों में पापा और मम्मी अपने किसी काम से बाहर जा रहे हैं कविता के मम्मी पापा दोनों ही नौकरी पेशा है और वह दोनों कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर जा रहे थे तो उस बीच कविता ने मुझे अपने घर पर बुलाया।
जब मैं कविता से मिलने उसके घर पर गया तो उसके दिन उसके अंदर सेक्स को लेकर आग लगी हुई थी और मेरे अंदर भी आग जली हुई थी। मैंने कविता को देखते ही उसको सहलाना शुरु किया और उसके बदन की गर्मी को मैं बढ़ाता चला गया उसके गर्मी बढने लगी थी और मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगा था।
मैं पूरी तरीके से जोश में आ चुका था मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अब हम दोनों एक दूसरे से अपने होठों को टकराने लगे थे मेरा हाथ उसके स्तनों की तरफ जाने लगा मैं जब उसके स्तनों को दबाता तो उसे मजा आता और वह भी मुझे कहती मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
अब हम दोनों के अंदर की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी और मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है वह कहने लगी अच्छा तुम मुझे भी बहुत लग रहा है मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया था जिससे कि उसके अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ती जा रही थी मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह उसे हिलाने लगी।
जब वह ऐसा करती तो मेरे अंदर एक अलग ही आग पैदा होती मैं उसे कहता मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मैंने अब उसके कपड़ों को उतार दिया था जब मैंने उसके कपड़ों को उतारा तो उसका नंगा बदन देख मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाया और मुझे ऐसा लगने लगा कि मुझे कविता की चूत के अंदर अपने लंड को घुसेड देना चाहिए।
मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुस दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी मुझे दर्द हो रहा है मैंने उसे कहा दर्द तो मुझे भी हो रहा है मुझे ऐसा लग रहा था जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसा तो मेरे लंड मे भी एक अलग ही प्रकार का दर्द हुआ।
मैंने उसे बड़ी ही तेजी से चोदना शुरु कर दिया था मैं उसे बहुत तेज गति से धक्के मार रहा था वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। उसे मेरे साथ सेक्स करने में मजा आ रहा था और मुझे उसको चोदने में बड़ा आनंद आ रहा था मैं उसे लगातार तीव्र गति से चोद रहा था वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मैं उसकी चूत बड़े अच्छे से मार रहा था और मेरे अंदर की गर्मी कहीं ना कहीं पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी।
हम दोनों ही अब एक दूसरे की बाहों में लेटे हुए थे लेकिन मेरी गति में और भी तेजी आने लगी मेरा लंड बहुत मोटा होने लगा था मुझे एहसास होने लगा मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका है लेकिन जब मैंने अपने वीर्य की पिचकारी से उसकी चूत को नहला दिया तो वह खुश हो गई और उस दिन मैं उसके साथ ही उसके घर पर रहा रात भर मैंने उसकी चूत का आनंद लिया।