नमस्ते दोस्तो। मेरा नाम अखिलेश यादव है। मैं एक सरकारी दफ्तर में खलासी के रूप में काम करता हुँ। मैं साफ़-सफ़ाई से लेकर फाइल को लाने और ले जाने तक की तनख्वाह लेता हुँ।
एक दिन, मैं एक बड़े अफसर के केबिन में अंदर रखी हुई फाइल कैबिनेट की साफ़-सफ़ाई कर रहा था। करीब १०: ३० बजे, बड़े साहब अपनी केबिन में आकर बैठ गए थे।
ऐसा अक्सर होता है कि मैं अपना काम चुप-चाप करते रहता हुँ और केबिन में बैठे रहने वाले को पता भी नहीं चलता। उस दिन भी ऐसा ही हुआ था। मैं और बड़े साहब अपना-अपना काम कर रहे थे कि तभी केबिन के अंदर एक महिला कर्मचारी आई।
[बड़े साहब:] यह काम पिछले हफ्ते में ही हो जाना चाहिए था और तुम मुझे अब लाकर दे रही हो? वह भी आधा काम करके।
[महिला कर्मचारी:] मुझसे जितना हुआ उतना मैंने किया। आप को यह काम मुझे देना ही नहीं चाहिए था।
[बड़े साहब:] बकवास मत कर हरामजादी, कौनसा काम किस को देना है यह तू मुझे समझाएगी? फिर तू किस बात की तनख़्वाह लेती है सरकार से ज़रा बता?
[महिला कर्मचारी:] आपके साथ बिस्तर गरम करके यह नौकरी हासिल की है मैंने। इस तरह चिल्लाओ मत और अभी क्या करना है वह बताईये।
[बड़े साहब:] अभी तेरी चूत मारूँगा मैं, छिनाल साली। लगता है कि सरकारी नौकरी मिलने से तेरी गाँड़ में बहुत चरबी आ गई है। आज तो तेरी ख़ैर नहीं।
मैं उठकर जाने की सोच रहा था लेकिन फिर मुझे आगे क्या होने वाला है, वह देखने की इच्छा होने लगी थी। मैं बाहर झाँककर देखने लगा कि बड़े साहब क्या करने वाले थे।
बड़े साहब ने उस महिला कर्मचारी को पकड़ा और सोफे की तरफ खींचकर ले गए। फिर उस महिला को अपनी गोद में बिठाकर वह सोफे पर बैठ गए। उसकी चुम्मियाँ लेते हुए बड़े साहब ने उस महिला की पल्लू निकालकर उसकी चूचियाँ दबाने लगे।
उस महिला के ब्लाउज को खोलकर उसके गोल-मटोल चूचियों को ब्रा में से निकाल दिया और उन्हें दबाने लगे। महिला चुपचाप बैठकर तमाशा देख रही थी। बड़े साहब ने महिला की चूचियों को बारी-बारी करके चूसा और उसकी निप्पल को अपनी उँगली से खिंचा।
[बड़े साहब:] साली मादरचोद, अब क्यों चुपचाप बैठ गई तू।
महिला भी मस्त और गरम हो रही थी लेकिन अपने चहरे से पूरी तरह व्यक्त नहीं कर रही थी। बड़े साहब ने उसकी चूचियों को चूसकर चाटकर गीला कर दिया था।
उसकी कमर को कसके पकड़कर बड़े साहब सोफे पर लेट गए और उसे अपने ऊपर चढ़ा दिया। उसकी साड़ी के अंदर अपने हाथ घुसाकर बड़े साहब उसकी गाँड़ मसलने लगे थे।
उस महिला की गाँड़ की दरार में अपनी उँगलियाँ फसाकर उसकी गाँड़ फैलाने लगे। वह महिला ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी थी, तब बड़े साहब ने उसके होठों को अपने मुँह में भर दिया।
कुछ देर बाद, बड़े साहब ने उस महिला की चड्डी निकालकर फेंकी और उसकी साड़ी को उठा दिया। उस महिला की चिकनी गाँड़ देखकर मैं अपना लौड़ा बाहर निकालकर हिलाने लगा।
बड़े साहब उस महिला की गाँड़ की छेद के अंदर अपनी दो उँगलियाँ घुसाकर उन्हें अंदर-बाहर करने लगे। उसकी गाँड़ पर ४-५ थप्पड़ मारकर चिकनी गाँड़ की चमड़ी को लाल कर दिया।
[बड़े साहब:] चल उस तरफ घूमकर लेट जा। तू मेरे लौड़े को चूस और मैं तेरी चूत की गर्मी बुझाता हुँ।
महिला घूमकर बड़े साहब के लौड़े के पास मुँह करके उनपर लेट गई। बड़े साहब उस महिला की गाँड़ को फैलाकर उसके छेद के अंदर अपनी नाक घुसा रहे थे। महिला उत्साहित होकर बड़े साहब की पैंट में से उनका मोटा लौड़ा निकालकर उसे चूसने लगी।
अपनी ज़ुबान को उस महिला की झाँटो से भरी चूत में घुसाकर उसे चाट रहे थे। उसकी चूत में थूक मारकर उसे अच्छी तरह से चूस रहे थे। वह महिला उत्तेजित होकर हलकी आवाज़ में चीख़ने लगी थी।
बड़े साहब ने अपनी उँगली को उस महिला की गाँड़ की छेद में घुसा दिया था, जिसकी वजह से वह महिला ज़ोर से चीख़ उठी। बड़े साहब ने उसे थप्पड़ मारकर उसे चुपचाप लौड़ा चूसने को कहा।
बड़े साहब उस महिला की चूत चाटते हुए उसकी गाँड़ की छेद में ज़ोर-ज़ोर से अपनी उँगली को अंदर-बाहर करने लगे थे।
[बड़े साहब:] चल मेरी रखैल, घूम जा। तुझे मेरे लौड़े पर बिठाकर उछालता हुँ।
वह महिला पलटकर बड़े साहब के लौड़े पर बैठ गई। बड़े साहब ने अपने लौड़े की नोक को उसके चूत के पास रखकर महिला को बिठा दिया। उस महिला की साड़ी के अंदर हाथ डालकर, उसको गाँड़ से उठाकर बड़े साहब उसे अपने लौड़े पर उछालने लगे थे।
थोड़ी देर बाद, बड़े साहब ने उस महिला को अपने गले से लगाकर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चुदाई करने लगे। उस महिला की उछलती गाँड़ को देखकर मैंने भी अपने लौड़े को तेज़ी से हिलाना शुरू किया था।
उस महिला की गाँड़ मसलकर बड़े साहब उसकी चीख़ें निकालने लगे। चीख़ों की आवाज़ को दबाने के लिए उस महिला के होठों को अपने मुँह के अंदर भरकर उसे चूसने लगे थे।
अपनी घड़ी को देखते हुए बड़े साहब ने उस महिला को अपने ऊपर से हटा दिया और सोफे के पास खड़े हो गए। बड़े साहब ने उस महिला को सोफे पर पिठ के बल लेटा दिया।
उसके पैरों को पकड़कर फैलाया और अपने लौड़े को उसकी चूत के पास लेकर गए। उसकी चूत पर थूक मारकर अपने लौड़े को अंदर-बाहर घुसाने लगे। अपना पूरा वज़न उस महिला के ऊपर डालकर, बड़े साहब उसकी चूत की ज़ोर-ज़ोर से ठुकाई कर रहे थे।
अपने मोटे पेट के साथ ज़्यादा देर तक खड़े होकर चुदाई नहीं कर पाए, इसलिए वह खुद सोफे पर बैठ गए। वह महिला की गाँड़ को अपनी तरफ रखकर उसे खड़ा कर दिया।
बड़े साहब ने उसकी कमर को पकड़कर उसे आगे झुका दिया और अपने लौड़े पर उछालने लगे। वह महिला अपने मुँह पर हाथ रखकर बड़े साहब के लौड़े पर अपनी गाँड़ पटक रही थी।
उसकी मोटी गाँड़ को पकड़कर बड़े साहब उत्तेजित हो गए और तेज़ी से उस महिला को अपने लौड़े पर उछालने लगे। इस तरह वह महिला की चुदाई करते वक़्त, बड़े साहब ने उसकी गाँड़ पर २-३ थप्पड़ मार दिया था।
उसकी गाँड़ की छेद में दो उँगलियाँ घुसाकर वह महिला को उकसाह रहे थे। मैं भी उत्तेजित होकर अपने लौड़े को ज़ोर-जोर से हिलाने लगा था।
थोड़ी देर बाद, बड़े साहब ने वह महिला को उसकी जाघों से पकड़कर अपने ऊपर बिठा दिया। अपने लौड़े को उसकी चूत पर कुछ देर रगड़ने के बाद उसे अंदर घुसाकर चुदाई को जारी रखा।
वह महिला को उसकी जाघों से पकड़कर बड़े साहब उसे अपने लौड़े पर पटकने लगे।
[बड़े साहब:] अभी मेरा छूटने वाला है। चल मेरी कुतिया, मेरे लौड़े का माल चूसकर पी जा।
बड़े साहब ने उस महिला को धक्के मारकर सोफे के नीचे गिरा दिया। वह महिला उठकर बड़े साहब के लौड़े को अपने मुँह में डालकर चूसने लगी। उनका लौड़ा चूसते वक़्त वह बड़े साहब को गुस्से से देख रही थी।
तभी, बड़े साहब ने उसे २ थप्पड़ मारकर आँखें बंद करके लौड़ा चूसने को कहा। कुछ देर बाद, बड़े साहब उठकर खड़े हो गए। उन्होंने अपने लौड़े को वह महिला के मुँह पर रखकर हिलाना शरू किया।
बड़े साहब ने अपने लौड़े के माल को उस महिला के चहरे पर निकाल दिया। एक ज़ोरदार तमाचा मारकर उस महिला को ज़मीन पर गिरा दिया। बड़े साहब ने उसे लात मारकर अपने रास्ते से हठा दिया और अपने कपड़े ठीक करने लगे।
बड़े साहब के केबिन से जाने के बाद मैं अपना लौड़ा हिलाता हुआ बाहर चला गया। मैंने भी अपने लौड़े के माल को उस महिला की साड़ी के ऊपर निकाल दिया और वहाँ से चला गया।
जाते-जाते मैंने उस महिला से कहा कि “.इसलिए पढ़ाई करना ज़रूरी है” । जब मैंने पीछे मुड़कर देखा, तब वह महिला अपने मुँह पर उड़े लौड़े के माल को साफ़ कर रही थी।