मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता हूं और मैं जिस कंपनी में नौकरी करता हूं उस कंपनी में मेरा एक दोस्त है उसका नाम संजीव है। संजीव से मेरी दोस्ती दो वर्ष पहले हुई थी संजीव बहुत ही अच्छा लड़का है उसे जब मैं पहली बार मिला था तो मुझे उससे मिलकर बहुत खुशी हुई।
संजीव की फैमिली में भी सब लोग मुझे जानने लगे हैं क्योंकि एक दो बार मैं उसके घर भी होकर आ चुका हूं संजीव और मेरे बीच एक समानता है संजीव भी ज्यादा किसी से बात नहीं करता और मेरी भी आदत बिल्कुल उसी की जैसी है।
एक दिन संजीव ने मुझे कहा यार मुझे अभी कहीं जाना था मैंने संजीव से कहा तुम्हें क्या काम था तो वह कहने लगा कि दरअसल मेरे मामा की लड़की गरिमा यहां आने वाली है और मुझे उससे मिलना है।
मैंने उसे कहा क्या तुम्हे उससे कोई जरूरी काम था वह कहने लगा हां मुझे उससे जरूरी काम है तो मैंने उसे कहा ठीक है तुम चले जाओ। वह उसे ऑफिस के बाहर ही मिलने वाली थी संजीव ने गरिमा को फोन किया तो गरिमा ने फोन उठा कर कहा भैया मुझे आने में देर हो जाएगी संजीव ने मुझे कहा कि वह कुछ देर बाद आने वाली है।
हम दोनों ही लंच टाइम में गरिमा से मिलने के लिए चले गए जब हम दोनों गरिमा से मिले तो मुझे बहुत अच्छा लगा संजीव ने मुझे गरिमा से मिलवाया। मैं गरिमा से मिलकर खुश था ना जाने मुझे उसे देखकर ऐसा क्यों लगा कि मैं उसे कई सालों से जानता हूं पहली नजर में ही मैं उसे पसंद कर बैठा।
गरिमा भी मेरी तरफ देख रही थी मुझे ऐसा लगा कि शायद गरिमा भी मुझसे कुछ कहना चाहती है हम दोनों ही एक दूसरे से जीवन में पहली बार मिले थे परंतु ना जाने ऐसा क्या हुआ कि हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे। संजीव ने मुझे कहा हम लोग चलते है, हम लोग वहां से अपने ऑफिस में चले आए हम दोनों ने लंच किया और उसके बाद शाम को हम लोग साथ में ही घर गए।
मेरे दिमाग से तो जैसे गरिमा का चेहरा उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था मैं गरिमा को दिल ही दिल पसंद करने लगा था लेकिन गरिमा से सिर्फ मेरी एक ही मुलाकात हुई थी। उसके बाद मैं गरिमा से मिलना तो चाहता था लेकिन उसे मिल पाना शायद मेरे लिए संभव नहीं था क्योंकि मुझे मालूम ही नहीं था कि गरिमा कहां रहती है और उसका नंबर भी मेरे पास नहीं था।
उसके बाद वह मुझे दोबारा से मिली और एक दिन गरिमा को कोई जरूरी काम था संजीव को भी शायद अपने घर जल्दी जाना था तो संजीव ने मुझसे कहा यार क्या तुम गरिमा को आज अपने साथ ले जा सकते हो। मैंने उसे कहा क्यों नहीं शाम के वक्त मैं जैसे ही ऑफिस से फ्री होता हूं तो मैं उसे छोड़ दूंगा संजीव भी घर निकल गया था।
जब गरिमा मुझे मिली तो वह मुझे देख कर मुस्कुराने लगी और मुझे भी बहुत खुशी हो रही थी मैं गरिमा की तरफ देख रहा था जब गरिमा मुझे मिली तो हम दोनों ने आपस में बात की। मैंने गरिमा से कहा तुम्हें कहां जाना है तो वह कहने लगी मुझे अपने एक सर के पास जाना है मुझे उनसे कॉलेज के कुछ नोट्स लेने थे मैंने सोचा कि मैं भैया से कहती हूं तो भैया मुझे वहां छोड़ देंगे।
मैंने गरिमा से कहा तुम्हें उनका घर तो मालूम है गरिमा मुझे कहने लगी हां मुझे उनका घर मालूम है मैं आपको उनका घर बता दूंगी। हम दोनों एक साथ थे गरिमा मेरे साथ मेरी गाड़ी में थी और फिर हम दोनों उसके सर के घर पहुंच गए गरिमा ने ही मुझे सारा रास्ता बताया क्योंकि मुझे उनके घर का कोई भी पता नहीं था।
हम लोग जब उनके घर पहुंचे तो गरिमा मुझे कहने लगी आप बस यहीं रुकिए मैं नोट्स लेकर अभी आती हूं वह दौड़ती हुई अपने सर के घर पर चली गई और वहां से वह नोट्स ले कर आ गई। मुझे करीब 10 मिनट तक उसका इंतजार करना पड़ा और जैसे ही वह कार में बैठी तो उसके बाद मैंने उसे कहा कि अब मैं तुम्हें घर छोड़ दूं वह मेरे मुंह में देखने लगी मुझे लगा कि शायद उसका घर जाने का मन नहीं है।
मैंने गरिमा से कहा क्या हम लोग कहीं बैठ सकते हैं वह कहने लगी हां क्यों नहीं फिर हम दोनों कॉफी शॉप में चले गए और वहां पर हम दोनों ने एक दूसरे से बात की। मैंने गरिमा से पूछा क्या तुम्हारे यह जरूरी नोट्स थे तो वह कहने लगी हां यह मेरे जरूरी नोट्स है इसीलिए तो मैं इन्हें लेने के लिए आ रही थी लेकिन संजीव भैया को आज कुछ जरूरी काम था तो उन्हें जाना पड़ा।
मैंने गरिमा से कहा कोई बात नहीं यदि मैंने तुम्हारी मदद कर दी तो इसमें कोई एहसान की बात नहीं है गरिमा और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे तो हम दोनों जैसे एक दूसरे की आंखों में खो गए। मुझे गरिमा के साथ बात करना अच्छा लग रहा था और गरिमा को भी मुझसे बात करना बहुत अच्छा लग रहा था हम दोनों ने एक साथ काफी देर तक बात की।
मुझे उस दिन गरिमा के बारे में काफी कुछ चीज जानने को मिली मैंने गरिमा का नंबर भी ले लिया और उसके बाद मैंने गरिमा को घर पर छोड़ा। जब वह कार से उतरी तो वह बार-बार पीछे पलट कर देख रही थी मुझे इतना तो मालूम था कि गरिमा के दिल में मेरे लिए जरूर कुछ ना कुछ चल रहा है।
मैंने गरिमा से उसके बाद फोन पर बात की हम दोनों की फोन पर कई बार बात होती रही और हम दोनों एक दूसरे से हर रोज फोन पर बात किया करते थे। मैंने एक दिन गरिमा से अपने दिल की बात कह दी लेकिन मुझे डर था कि कहीं संजीव को इस बारे में पता ना चले लेकिन गरिमा ने संजीव को इस बारे में बता दिया।
संजीव ने मुझसे ऑफिस में कहा मुझे गरिमा ने तुम्हारे और अपने रिलेशन के बारे में बताया लेकिन मुझे इसमें कोई बुराई नहीं लगती तुम एक अच्छे लड़के हो और मैं तुम्हें अच्छे से जानता हूँ। गरिमा भी बहुत अच्छी लड़की है मुझे इस बात की खुशी थी कि संजीव को सब कुछ पता होते हुए भी उसने मेरा साथ दिया।
मैं गरिमा से अब हर रोज मिला करता था संजीव को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी। गरिमा और मेरे बीच में प्यार बढ़ता ही जा रहा था। गरिमा के कॉलेज का यह आखरी बर्ष था और उसके एग्जाम नजदीक आने वाले थे इसलिए मैंने उससे कुछ समय तक बात नहीं की क्योकि मैं नहीं चाहता था कि उसके एग्जाम में मेरी वजह से कोई तकलीफ हो।
मैंने गरिमा को भी समझा दिया था गरिमा और मेरी काफी समय तक बात नहीं हुई लेकिन जब हम दोनों की गरिमा के एग्जाम के बाद बात हुई तो हम दोनों ने एक दूसरे से मिलने का फैसला कर लिया। मैंने गरिमा से कहा दो दिन बाद मेरी ऑफिस की छुट्टी है तो हम लोग उसी दौरान एक दूसरे से मिलेंगे गरिमा कहने लगी हां हम लोग उसी वक्त से मिलते हैं।
दो दिन बाद मैं गरिमा को मिला, जब मैं उससे मिला तो मैंने गरिमा से पूछा तुम्हारे एग्जाम कैसे रहे वह मुझे कहने लगी कि मेरे एग्जाम तो बहुत अच्छे हो गए। मैंने उसे कहा चलो अब तुम्हारा कॉलेज भी खत्म हो गया है तो तुमने आगे क्या करने की सोची है वह मुझे कहने लगी कि अभी तो मैंने ऐसा कुछ नहीं सोचा है लेकिन शायद मैं आगे जॉब करने वाली हूं।
गरिमा से मैं इतने दिनों बाद मिलकर खुश था और गरिमा भी बहुत खुश थी। हम दोनों साथ में बैठे हुए थे मैंने गरिमा का हाथ पकड़ा, मैंने उसके हाथों को चूमा तो वह कहने लगी आप यह क्या कर रहे हैं। मैंने उसे कहा बस ऐसे ही तुमसे काफी दिनों बाद मिल रहा हूं तो सोचा तुम्हारे हाथों को चुम लू।
गरिमा ने मुझे कहा क्या आप सिर्फ मेरे हाथों को ही चूमेंगे मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी आंखों में मेरे प्रति एक अलग ही फीलिंग थी। मैंने गरिमा से कहा ठीक है तो फिर हम लोग कहीं चलते हैं, हम दोनों ने एक साथ कही जाने का फैसला कर लिया।
वह मेरे साथ मेरे घर पर चली आई जब वह मेरे घर पर आई तो उस दिन मेरे मम्मी पापा मेरे मामा के घर चले गए थे और घर पर कोई ना था। मैंने गरिमा के होठों को चूमना शुरू किया और उसे भी बड़ा मजा आने लगा वह मुझे कहने लगी मुझे नहा कर आने दो।
वह नहाने चली गई जब वह नहाने जा रही थी तो मैं भी बाथरूम में चला गया और हम दोनों शावर के नीचे नहा रहे थे। मैं उसके होंठों को चूमना शुरु किया और उसके गीले स्तनों को अपने मुंह में लेकर में चूसने लगा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था जब मैं उसके गीले स्तनों को चूस रहा था और उसे भी बड़ा आनंद आता मैंने उसे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है तो वह कहने लगी मुझे भी बड़ा मजा आ रहा है।मैंने गरिमा से कहा देखो गरिमा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और यह कहते हुए मैंने उसकी योनि के अंदर उंगली डाल दी। जैसे ही मेरी उंगली उसकी योनि के अंदर गई तो वह उत्तेजित होने लगी और वह पूरे जोश में आ गई।
मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर घुसा दिया मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा मेरे धक्के तेज होता वह उसे बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी लेकिन मुझे उसे धक्के देने में बहुत आनंद आता। उसकी योनि से खून निकलने लगा था लेकिन उसे भी बहुत मजा आ रहा था मैंने उसकी चूतड़ों को पकड़ा और कस कर उसे बड़ी तेजी से धक्के देने शुरू कर दिया।
जिससे कि हम दोनों के अंदर गर्मी पैदा होने लगी हम दोनों शावर के नीचे अब भी नहा रहे थे लेकिन मुझे उसकी चूत मारने में बड़ा मजा आ रहा था। मैंने करीब 5 मिनट तक गरिमा की योनि के अंदर बाहर अपने लंड को किया जिससे कि वह पूरे जोश में आ गई जब मेरा वीर्य पतन हुआ तो उसे भी बड़ा मजा आया। वह मुझे कहने लगी मैं बहुत खुश हूं और मुझे बहुत अच्छा लगा।