Sister In Law ki sex story

नमस्कार मित्रों मै आयशा आज आपके सामने अपने जीवन की एक सच्ची घटना लेकर हाजिर हूं। आशा करती हूं कि, आप सभी को मेरी यह कहानी पसंद आ जाए। यह कहानी मेरी और मेरे भाई की है।

इस कहानी में पढिए, कैसे मेरे सगे भाई ने मुझे बहला-फुसलाकर मेरी चुत चुदाई करने के बाद मुझे गांड मरवाने के लिए भी राजी किया, और मेरी गांड का भी उदघाटन कर दिया।

यह कहानी आज से चार साल पुरानी है, अभी तो मेरी पिछले साल शादी हुई है, और मेरा वैवाहिक जीवन अच्छे से चल रहा है। मेरे पती और मै रोज रात को सोने से पहले सेक्स करते है, मेरे पती सेक्स के मामले में मुझसे भी दो कदम आगे है।

आपने पहले ही पढा हुआ है, कि कैसे भैया ने मुझे अपने वश में करते हुए मुझे चुदासी बनाकर मेरी चुत के द्वार को खोल दिया। और फिर उसके बाद तो हमे जब भी मौका मिलता, हम उसका पूरा फायदा उठा लेते। तब से ही मेरी चुत हमेशा लंड मांगने लगी थी।

और ऐसे में ही एक बार भाई ने मेरी चुत चोदने के बाद, उन्हें अचानक क्या हुआ पता नही, लेकिन मेरी गांड के छेद पर उंगली घुमाते हुए मुझसे कहने लगे, “आज तो तेरी गांड का भी उदघाटन करने का मन कर रहा है। तेरी गांड मारने में तो और भी मजा आएगा। पूरी कसी हुई गांड जो पाई है तूने।”

इतना कहते हुए भाई ने नीचे झुककर मेरे चुतडों पर किस कर दिया। लेकिन उस दिन मैने जैसे तैसे करके भैया को मना कर दिया और अपनी गांड को बचा लिया। मुझे भी गांड मरवाने का सोचकर ही मजा आ जाता है, लेकिन फिर बहुत दर्द होगा यह भी तो पता है।

इसलिए मै थोडा डर जाती थी, और भैया को मना कर देती थी। भैया का दिल तो मेरी गांड पर ही आया था, तो वो मेरी गांड मारे बिना मानने वाले तो थे नही। वो हर चुदाई के दौरान मुझे गांड मरवाने के लिए बोलते। लेकिन हर बार मै कोई न कोई बहाना मारकर बात टाल देती।

ऐसे ही एक दिन रात में घर मे सबके सोने के बाद भैया मेरे कमरे में आ गए, और आते ही उन्होंने मुझसे कहा, “आज तो तेरी गांड का उदघाटन करके ही रहूंगा।”

मैने मना कर दिया तो भैया नाराज होकर बिना चुदाई किये ही चले गए। अब मेरी चुत को तो लंड की आदत लग गई थी। और बिना लंड के चुत का हाल बेहाल हो रहा था। उस दिन मैने अपने से ही उंगली से चुत को शांत किया, लेकिन उंगली से कितने दिनों तक काम चलाती। मेरी चुत कुछ ही दिनों के बाद अब असली लंड मांगने लगी थी।

लेकिन भैया थे कि, अपनी जिद पर अडे हुए थे, वो मेरी गांड ही मारना चाहते थे। तो आखिर में मुझे ही भैया के सामने हार माननी पडी।

मै भी क्या करती,मेरी चुत लंड मांग रही थी, तो मुझे मजबूरन भाई के पास जाना ही पडा। उनके पास जाते ही उन्होंने अपनी मांग मेरे सामने रख दी। अब मै भी क्या कर सकती थी, मैने भी हां बोल दिया, लेकिन मैने भैया से कहा, “आप पहले मेरी चुत को चोद कर शांत कर दोगे, उसके बाद ही मेरी गांड की तरफ देखना।”

यह सुनकर भैया भी खुश हो गए। तो मैने उन्हें अपने कमरे में आने के लिए कह दिया। क्योंकि मेरा कमरा सबसे ऊपर की मंजिल पर था, और भाई का कमरा पापा के कमरे के बगल में था।

मेरे कमरे में आतेही भाई तो जैसे मुझ पर टूट ही पडे, उन्होंने मुझे सीधे नोचना शुरू किया। वो आज उन पर बहुत ही चुदास चढी हुई लग रही थी।

वो मुझे मसलते हुए चूमना जारी रखे हुए थे। कमरे में घुसकर भैया ने बस दरवाजा बंद किया और फिर मुझे पकडकर जो अपने से चिपकाया, फिर वहां से मुझे उठाकर सीधे बिस्तर पर ला दिया। भैया भी फिर मेरी बगल में आ कर लेट गए।

और उन्होंने अपना मुंह मेरे मुंह के ऊपर लाते हुए होंठों से होंठ मिला दिए। भैया आज मेरे होंठ चूस कम रहे थे, लेकिन वो हर बार मेरे होंठों पर काट देते थे। जिसकी वजह से दर्द होकर मै दर्द से बिलबिलाने लगती।

धीरे धीरे भैया मुझे नंगी करते जा रहे थे, और मै भी उनकी द्वारा की जाने वाली हरकतों का मजा लिए जा रही थी। भैया ने सबसे पहले तो मेरा टॉप ऊपर उठा कर अपना हाथ मेरे टॉप के अंदर घुसा दिया, और मेरी चूचियों को मसलने लगे।

रात में सोने से पहले मै अपनी ब्रा उतारकर ही सोती हूं, जिससे मेरी चूचियों को आराम भी मिले, और वो थोडी सी आजाद भी रहे। तो टॉप के अंदर हाथ घुसाते ही भैया का हाथ सीधा मेरी चूचियों पर चला गया।

चूचियों पर हाथ जाते ही भैया ने पहले तो अपनी एक उंगली से मेरी दोनों चूचियों को रगडकर देखा, और फिर एक चूची को अपनी हथेली में भरकर दबाने लगे। अब चुचियां दबवाने की वजह से मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी थी। और भैया के चुचियां मसलने के साथ ही मेरी कामुक आवाजें बढती ही जा रही थी।

भैया ने फिर अपनी उंगलियों के बीच मेरे निप्पल को पकडकर भींच दिया, जिससे मै एकदम से दर्द से तडप उठी, लेकिन भैया पर इसका कोई असर नही था। हालांकि मुझे भी इसमें मजा तो आ रहा था, लेकिन थोडा दर्द भी तो हो रहा था।

अब भैया ने अपना वहशीपन दिखाते हुए मेरे टॉप को ऊपर उठाकर निकलने की कोशिश करने लगे, लेकिन उनसे टॉप निकल नही रहा था। तो उन्होंने गुस्से में आकर मेरा वह टॉप फाड ही दिया।

अब टॉप के फट जाने से मेरी चुचियां पूरी तरह से आजाद होकर हवा में लहराने लगी थी। जिसे देखकर भैया के होश उड गए, और भैया एकटक मेरी चूचियों की तरफ ही देखने लगे थे।

तो मैने भैया को होश में लाते हुए उनके सामने एक ताली बजाते हुए उनसे कहा, “कहाँ खो गए भैया आप? आज क्या बस देखते रहने का ही प्लान है?”

तो भैया भी होश में आते ही उन्होंने एक बार मेरी दोनों चूचियों को बारी बारी अपने हाथ में लेकर देखा, और फिर अपना मुंह नीचे झुकाकर दोनों चूचियों को एक-एक करके मुंह मे लेकर चूसने लगे। भैया मेरी चूचियों को मुंह मे लेकर चूसने के साथ ही बीच मे अपने दांतों से हल्के से काट भी देते थे। तो मेरे मुंह से एक सुखमय सीत्कार सी निकल जाती।

थोडी देर बाद चुचियां चुसवाने के बाद मैने भैया के सर को और नीचे की ओर धकेलना शुरू कर दिया। जैसे ही मैने भैया के सर को नीचे की ओर धकेला, भैया ने अपने दांतों में मेरे निप्पल को पकड लिया, और फिर नीचे की तरफ खींचने लगे।

जिससे मैने फिर से उनके सर को ऊपर की ओर खींच लिया। अब भैया ने मेरे दोनों चूचियों पर एक एक चुम्मी दे दी, और फिर नीचे की तरफ बढने लगे। भैया मेरे पेट को चूमते हुए चाट भी रहे थे, जिस वजह से मेरा पेट थोडा सा गिला भी हो गया था। फिर भैया ने मेरी नाभि को चूमते हुए उसमे अपनी जीभ घुसेड दी, और अपनी जीभ को मेरी नाभि में घुमाने लगे।

आप सभी को तो पता ही होगा कि, अगर आप लडकी के नाभि में अपनी जीभ घुसाकर घुमाओ, तो लडकी और ज्यादा चुदासी होने लगती है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। थोडी ही देर में भाई ने और नीचे आते हुए मेरी शॉर्ट को भी उतार दिया और मेरी पैंटी के ऊपर से ही वो मेरी चुत के आसपास वाले हिस्से में अपनी उंगली से इधर उधर फिराने लगे।

भैया की उंगली मेरी चुत में लगी आग को और भी बढा रही थी। अब भैया ने मेरी पैंटी को अपनी एक उंगली से मेरी पैंटी को चुत से हटाते हुए दूसरी उंगली को मेरी चुत से छुआ दिया। वैसे भी पिछले कुछ दिनों से मेरी चुत को किसी और ने छुआ नही था।

थोडी ही देर में भैया ने अपनी एक उंगली को मेरी चुत में घुसा दिया और उससे मेरे चुत के दाने को सहलाने लगे थे। भैया ने दूसरे हाथ से अब मेरी पैंटी को नीचे खींचते हुए मेरी चुत पर एक चुम्बन जड दिया।

अब भैया मेरी चुत को चमन के बाद, अपनी जीभ बाहर निकालकर हल्के से मेरी चुत के होठों को चाट लिया। फिर अपनी उंगली से मेरे चुत की दो फांकों को अलग करके देखा, और देखने के बाद तुरंत ही ऊनी जीभ मेरी चुत में घुसा दी। और फिर मेरी पैंटी को पूरी तरह से मेरे शरीर से भी अलग कर दिया।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, यह आप हमें कमेंट में जरूर बताइए। धन्यवाद।

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